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रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए जीएसटी परिषद ने नयी कर दरों के लिए योजना को दी मंजूरी

जीएसटी परिषद (GST Council) ने बिल्डरों को कच्चे माल पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के साथ उच्च दरों या अधूरी परियोजनाओं के लिए आईटीसी लाभ के बिना कम कर दर के बीच चयन करने की अनुमति दे दी है।

मंगलवार 19 मार्च को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 34वीं बैठक में यह फैसला लिया गया।
अब बिल्डर आईटीसी लाभ के साथ नॉन-अफोर्डेबल (महंगे) मकानों के लिए 12% या निर्माणाधीन मकानों के लिए बिना टैक्स छूट के 5% में से किसी विकल्प का चुनाव कर सकते हैं। इसी तरह बिल्डर अब सस्ती आवासीय परियोजनाओं के लिए कर छूट के साथ 8% और कर लाभ के बिना 1% में किसी एक विकल्प को चुन सकेंगे। नयी दरें, आईटीसी के लाभ के बिना, उन सभी परियोजनाओं के लिए लागू होंगी, जिनका निर्माण 1 अप्रैल के बाद शुरू होगा।
हालाँकि जीएसटी परिषद ने महाराष्ट्र सरकार की उस माँग पर फैसला टाल दिया, जिसमें मुम्बई में 70 लाख रुपये तक की कीमत वाले अपार्टमेंट को 'सस्ते आवास' की श्रेणी में रखने का आग्रह किया गया था।
रियल एस्टेट की नयी दरें 1 अप्रैल 2019 से लागू हो जायेंगी। मगर कम शुल्क लागू होने के बाद बिल्डर आईटीसी लाभ का दावा करने के पात्र नहीं होंगे।
गौरतलब है कि 24 फरवरी को जीएसटी परिषद की बैठक में घर खरीदारों को बड़ी राहत देते हुए रियल एस्टेट पर लगने वाली जीएसटी दरों में कटौती पर मुहर लगा दी थी। नयी दरों में 45 लाख रुपये तक के सस्ते मकानों पर केवल 1% जीएसटी और निर्माणाधीन मकानों और फ्लैट पर 5% की जीएसटी दर की घोषणा की गयी थी, जो इससे पहले तक 12% थी। मगर नयी दरों के तहत बिल्डरों को आईटीसी का लाभ न मिलने का भी फैसला लिया गया था। (शेयर मंथन, 20 मार्च 2019)

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