शेयर मंथन में खोजें

अमेरिका ने सोलर पैनल आयात पर 3500% से ज्यादा टैरिफ लगाया, चीन सहित इन देशों को लगा करारा झटका

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दक्षिण पूर्व एशिया के चार देशों से आने वाले सोलर पैनलों पर 3521% का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। ट्रंप के फैसले से अमेरिकी कंपनियों को फायदा और सोलर पैनल में दुनिया में सबसे आगे चलने वाले देश चीन को सीधे-सीधे झटका लगेगा।

क्यों लगा 3521% का भारी भरकम टैरिफ?

अमेरिकी कंपनियों ने राष्ट्रपति ट्रंप से कहा कि कम कीमत पर विदेशी कंपनियों के सोलर पैनल अमेरिका में आते हैं जिससे उन्हें नुकसान होता है, क्योंकि सस्ता होने के कारण ग्राहक विदेशी पैनल ही खरीदते हैं। इससे अमेरिकी बाजार को काफी नुकसान हो रहा है। फिर क्या था, पहले से ही ताक में बैठे ट्रंप ने मौका मिलते ही सोलर पैनल इंपोर्ट पर भारी भरकम टैरिफ की घोषणा की दी।

लेकिन टैरिफ लगाने से पहले अमेरिका के वाणिज्य विभाग ने एक लंबी जाँच की और फैसला जाँच के नतीजों के आधार पर ही लिया गया। जाँच में कॉमर्स विभाग ने पाया कि चीन बड़ी संख्या में सोलर पैनल बना रहा है। चीन की कंपनियाँ कंबोडिया, मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम में भी उत्पादन कर अमेरिका को निर्यात कर रही हैं। इससे अमेरिकी उद्योग को काफी नुकसान हो रहा है।

अमेरिका ने लिया चौंकाने वाला फैसला

अमेरिकी सरकार के मुताबिक जिन-जिन कंपनियों ने उसकी जाँच में मदद नहीं की उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गयी है। उन पर टैरिफ लगाया गया है। जैसे कंबोडिया की कुछ कंपनियों पर 3521% तक का टैक्स लगाया गया है। मलेशिया में सोलर पैनल बनाने वाली चीनी कंपनी जिनो सोलर के प्रोडक्ट्स पर 41% का टैरिफ लगाया गया है। उसी तरह से थाईलैंड में ट्रीना सोलर पर भी 375% तक का टैक्स लगाया गया है।

टैरिफ पर क्या है अमेरिका की दलील?

सोलर पैनल पर अमेरिका का कहना है कि ये कंपनियाँ अमेरिका में अपने उत्पाद को निर्यात नहीं कर रही थी। वो अमेरिका को डंपिंग ग्राउंड की तरह इस्तेमाल कर रही थीं। इन सब के पीछे चीन और उसकी सब्सिडी की बहुत बड़ी भूमिका है। उसका कहना है कि इस पहल से अमेरिका में सोलर पैनल विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और अब अमेरिकी कंपनियाँ दुनिया में अपने प्रोडक्ट को ज्यादा आसानी से एक्सपोर्ट कर पायेंगी। अमेरिका के एक विनिर्माता समूह ‘अमेरिकन एलायंस फॉर सोलर मैन्युफैक्चरिंग’ ने ट्रंप के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि ये अमेरिका की घरेलू उत्पादन क्षमता को मजबूत करेगा और ये साबित करता है कि चीनी कंपनियाँ लंबे समय से सिस्टम का गलत फायदा उठा रही थीं।

अब सोलर प्रोडक्ट्स के बढ़ेंगे दाम?

इस सवाल के जबाव से पहले आँकड़ों को समझ लेते हैं। 2023 में अमेरिका ने इन चार देशों से करीब 1 लाख करोड़ की कीमत के सोलर प्रोडक्ट्स आयात किये थे। यानी ये फैसला सिर्फ कारोबार को ध्यान में रख कर नहीं लिया गया है। उसके पीछे ट्रंप की अच्छी खासी रणनीति है। और अब आते हैं सवाल के जवाब पर, तो हाँ अमेरिका के इस फैसले से सोलर प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ने तय हैं।

हालाँकि ये फैसला खुद अमेरिका के आम लोगों और छोटे व्यापारियों को भारी पड़ेगा, क्योंकि वो अब तक कम दाम पर सोलर पैनल वगैरह खरीदते आ रहे थे लेकिन टैरिफ लगने के बाद दाम बढ़ेंगे तो उन्हें भी ज्यादा कीमत चुकानी होगी।

क्या कहते हैं जानकार?

जानकारों के मुताबिक अमेरिका का फैसला तो चैंकाने वाला है ही, उसकी टाइमिंग भी खास है, क्योंकि हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया का दौरा किया है। इसका मकसद इन देशों से चीन के रिश्तों को मजबूत करना और अमेरिकी दबाव का एक साथ मिलकर मुकाबला करना था।

(शेयर मंथन, 24 अप्रैल 2025)

(आप भी किसी शेयर, म्यूचुअल फंड, कमोडिटी आदि के बारे में जानकारों की सलाह पाना चाहते हैं, तो सवाल भेजने का तरीका बहुत आसान है! बस, हमारे व्हाट्सऐप्प नंबर +911147529834 पर अपने नाम और शहर के नाम के साथ अपना सवाल भेज दें।)

कंपनियों की सुर्खियाँ

निवेश मंथन पत्रिका

देश मंथन के आलेख

विश्व के प्रमुख सूचकांक

निवेश मंथन : ग्राहक बनें

शेयर मंथन पर तलाश करें।

Subscribe to Share Manthan

It's so easy to subscribe our daily FREE Hindi e-Magazine on stock market "Share Manthan"