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टाटा मोटर्स के लिए जेएलआर को अलग करना अच्छा: सेंट्रम

सेंट्रम ब्रोकिंग फर्म ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस समय टाटा मोटर्स के लिए जगुआर लैंडरोवर (जेएलआर) को अलग करना ही अच्छा रहेगा। फर्म का मानना है कि जेएलआर का अधिग्रहण टाटा मोटर्स को काफी महँगा पड़ रहा है, ऐसी हालत में इसके लिए बेहतर यही है कि यह जेएलआर को अलग कर टाटा समूह की किसी और कंपनी को स्थानांतरित कर दे।

किस्सा-ए-पिरामिड : असली गोली, नकली बंदूक

 राजीव रंजन झा 

किसी और के कंधे पर बंदूक रख कर गोली चलाने की कहावत काफी पुरानी है, शायद उतनी ही, जितनी पुरानी बंदूकें हैं। लेकिन इस कहावत की ताजा मिसाल है पिरामिड साईमीरा को मिली सेबी की नकली चिट्ठी। इसमें कंधा तो बिजनेस स्टैंडर्ड का था, लेकिन गोली किसने चलायी यह पता चलना अभी बाकी है। 

बिजनेस स्टैंडर्ड ने एक गलत खबर के लिए अपने पाठकों, सेबी और पिरामिड साईमीरा से माफी मांग ली है। शायद माफी मांगने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि उसने अपनी सफाई में खुद कहा है कि वह एक धोखाधड़ी का शिकार हो गया। लेकिन फिर भी यह माफी मांग कर बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी जिम्मेदारी निभायी। इसने एक और अच्छा काम यह किया है कि इस चिट्ठी का अपना स्रोत पाठकों को बता दिया है। बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक खांडवाला सिक्योरिटीज के अशोक जैनानी ने उसके संवाददाता को सेबी की यह नकली चिट्ठी ईमेल की थी।

बाजारों में कमजोरी रहने की ही संभावना

राजेश जैन, वीपी, एसएमसी ग्लोबल

कमजोर वैश्विक संकेतों के मद्देनजर आज भारतीय शेयर बाजारों में कमजोरी रहने की ही संभावना है। अमेरिका में डॉव जोंस सूचकांक 8,800-9,000 की बाधा को पार नहीं कर पा रहा और पिछले पाँच लगातार सत्रों से इसमें गिरावट आ रही है। हमारे यहाँ निफ्टी के सामने भी 3,100-3,150 की बाधा है, जिसे तोड़ने की कोशिश में यह लगातार नाकामयाब हो रहा है। जब तक निफ्टी इन स्तरों को नहीं तोड़ेगा, तब तक मजबूती का दौर शुरू नहीं होगा। 

फिर गिरा डॉव जोंस, एशियाई बाजारों में कमजोरी

अमेरिकी अर्थजगत में आये संकट की गंभीरता को प्रकट करने वाले आँकड़ों के आने का क्रम बरकरार है, जिसकी वजह से अमेरिकी शेयर बाजारों का निराशाजनक प्रदर्शन भी जारी है। मंगलवार को डॉव जोंस में 100 अंकों की गिरावट दर्ज की गयी। बुधवार की सुबह एशियाई बाजारों में कमजोरी दिख रही है।

7 महीनों बाद एफआईआई की खरीदारी

राजीव रंजन झा

इस साल अप्रैल के बाद पहली बार दिसंबर में ऐसा लग रहा है कि विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुद्ध रूप से खरीदार रहेंगे। सेबी के आँकड़ों के मुताबिक इस महीने अब तक एफआईआई ने दिसंबर महीने में 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की शुद्ध खरीदारी की है। हालांकि इस साल अब तक जितनी बिकवाली उनकी ओर से हो चुकी है, उसकी तुलना में दिसंबर की खरीदारी बेहद हल्की नजर आती है। लेकिन फिर भी यह इस मायने में ज्यादा महत्वपूर्ण है कि कम-से-कम उनकी बिकवाली का सिलसिला रुका तो है।

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