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छोटी अवधि के लिए बदली है चाल, मगर...

राजीव रंजन झा : शुक्रवार को सेंसेक्स (Sensex) - निफ्टी (Nifty) की उछाल ने भारतीय शेयर बाजार की चाल को छोटी अवधि के लिए सकारात्मक बनाया है और कई नकारात्मक पहलू कटे हैं। 
पहली बात तो यह है कि दीपावली के मुहुर्त कारोबार में बने शिखर 6342 से अब तक की गतिविधि में जो गिरती पट्टी (फॉलिंग चैनल) बन रही थी, उससे ऊपर आने में निफ्टी सफल रहा है। इसका एक प्रत्यक्ष कारण यह रहा है कि साल 2013-14 की दूसरी तिमाही में विकास दर (GDP) के आँकड़े बाजार के अनुमानों से थोड़े बेहतर रहे हैं।
बाजार में जानकारों के अनुमान 4.5% से 4.7% के इर्द-गिर्द थे, जबकि विकास दर 4.8% दर्ज की गयी। साथ ही पहली तिमाही की विकास दर जो आँकड़े पहले सामने आये थे, उन्हें सीएसओ ने अब थोड़ा सुधार कर 4.4% से 4.6% कर दिया है। हालाँकि यह खबर शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद आयी, लेकिन उस दिन जिस तरह सुबह से ही बाजार में एक अच्छी चाल बनी रही, उससे जाहिर है कि बाजार को इन अच्छे आँकड़ों का पहले से आभास हो गया था।
आज सुबह भी भारतीय बाजार ने थोड़ी सकारात्मक शुरुआत ही की है। इसे जीडीपी के आँकड़ों के साथ-साथ कुछ सकारात्मक एशियाई संकेतों का भी फायदा मिला है। लेकिन शुक्रवार की शानदार मजबूती की तुलना में आज की शुरुआत सकारात्मक होने के बावजूद काफी हल्की है। छोटी अवधि के लिए तकनीकी रुझान सकारात्मक होने के संकेत बनने के बावजूद ऊपरी स्तरों पर टिक पाने को लेकर अभी संदेह बनाये रखना चाहिए। इन संदेहों से उबरने का मौका तभी आयेगा, जब निफ्टी जनवरी 2008 के रिकॉर्ड स्तर 6357 को ठीक-ठाक ढंग से पार कर सके।
फिलहाल, आज सुबह-सुबह निफ्टी का ऊपरी स्तर 6209 का है, जो 19 नवंबर 2013 को बने 6212 के ताजा शिखर के एकदम पास है। अब यहाँ देखना होगा कि निफ्टी 6212 को आसानी से पार कर पाता है या फिर यहाँ अटक जाता है। दरअसल 6212 को पार कर पाने का मतलब यह होगा कि निफ्टी ने अब छोटी अवधि के लिहाज से ऊपरी शिखर बनाना शुरू कर दिया है, जो सकारात्मक चाल जारी रहने की एक जरूरी शर्त है।
इस बीच पाँच राज्यों में विधान-सभा चुनावों की प्रक्रिया अपने आखिरी चरण में है और केवल दिल्ली में मतदान बाकी है, जो 4 दिसंबर को हो जायेगा। लेकिन बाजार की धुकधुकी 8 दिसंबर तक जारी रहेगी, जिस दिन मतगणना होगी। लगातार कयास लगाये जा रहे हैं कि नतीजे कैसे आयेंगे और बाजार की प्रतिक्रिया कैसी रहेगी।
बाजार की संभावित प्रतिक्रिया को समझने और उसके बीच अपनी रणनीति बनाने के लिए ध्यान रखें कि बाजार के लिए इन विधान सभा चुनावों की अहमियत केवल लोकसभा चुनावों के पूर्वाभास के तौर पर है। अगर कहीं भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर वाले चार राज्यों - दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मामला 2-2 का हो गया तो यह बाजार के लिए एक सदमे की तरह होगा, क्योंकि इससे भाजपा की चुनावी नैया बीच भँवर में अटकती दिखेगी। हालाँकि ऐसा होने की आशंका मुझे कम है।
अगर भाजपा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकारें बचा सके और राजस्थान को कांग्रेस से छीन सके तो बाजार को अपनी मौजूदा धारणा की पुष्टि होती हुई दिखेगी कि लोकसभा चुनाव की दौड़ में भी भाजपा आगे है। लेकिन मैं इन तीन राज्यों में भाजपा की जीत को इस बात का पुख्ता प्रमाण मान कर नहीं चलूँगा कि लोकसभा चुनाव में भी भाजपा बहुमत जुटाने के करीब पहुँच सकेगी। ये तीन राज्य भाजपा के पारंपरिक गढ़ हैं और इनमें जीत केवल यही साबित करेगी कि भाजपा दौड़ में आगे है। लेकिन भाजपा बहुमत के करीब जा सके, इसके लिए जरूरी है कि वह अपने कमजोर राज्यों में ज्यादा सीटें जीत सके।
अगर इन विधानसभा चुनावों में भाजपा दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ - चारों राज्यों में जीत हासिल कर पायी तो जरूर इसे भाजपा के पक्ष में एक लहर के संकेत के तौर पर देखा जा सकेगा। इससे बाजार का उत्साह भी कुछ और बढ़ जायेगा। वैसी स्थिति में अगर निफ्टी 6357 के पिछले रिकॉर्ड स्तर को पार कर ले और 6400-6500 की ओर बढ़ जाये तो कोई ताज्जुब नहीं।
लेकिन उत्साह का वह क्षण आपके लिए खरीदारी का मौका होगा या मुनाफावसूली करके नकदी जुटाने का? मुझे लगता है कि बाजार में ऐसा उत्साह आने के बाद भी आगामी लोकसभा चुनाव से पहले या तुरंत बाद आपको खरीदारी के अच्छे मौके मिल सकते हैं। इसलिए अभी बाजार में ऊपरी स्तर मिलने पर नकदी जुटायें और आने वाले महीनों में जब बाजार राजनीतिक खबरों या अंतरराष्ट्रीय कारणों से बदहवास होकर एकदम लुढ़कता दिखे तो उस समय खरीदारी करें। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 02 दिसंबर 2013)

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