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रेयर अर्थ निर्यात पर चीन के नियंत्रण से भारत का ऑटो क्षेत्र परेशान

चीन ने अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध और टैरिफ तनाव का जवाब देते हुए रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर 4 अप्रैल 2025 से प्रतिबंध लगा दिये। ये प्रतिबंध वैश्विक स्तर पर हैं, लेकिन भारत पर भी इनका गंभीर प्रभाव पड़ा है और भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग गंभीर संकट का सामना कर रहा है। ये मैग्नेट बिजली वाहनों (ईवी), पावर स्टीयरिंग, विंडशील्ड वाइपर मोटर और कुछ अन्य जरूरी ऑटोमोबाइल घटकों को बनाने के लिए जरूरी होते हैं।

ट्रंप टैरिफ के जवाब में चीन की नयी नीति

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जब 2 अप्रैल को पारस्परिक शुल्क नीति (रेसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी) की घोषणा की और चीनी सामानों पर 54% शुल्क लगाया, तो जवाब में चीन ने सात रेयर अर्थ तत्वों और मैग्नेट्स पर निर्यात नियंत्रण लागू किये। इसके तहत निर्यातकों के लिए एक विशेष लाइसेंस लेना जरूरी कर दिया गया है।

चीन की इस नीति का उद्देश्य अमेरिका के रक्षा (डिफेंस), ऑटो और हाई-टेक उद्योगों को निशाना बनाना है, क्योंकि अमेरिका इन सामग्रियों के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर है। मगर साथ ही, भारत भी इन चीजों के लिए चीन पर काफी निर्भर है। इस प्रक्रिया में भारतीय कंपनियों को प्रूफ ऑफ यूज यानी इस्तेमाल का प्रमाण देने के लिए भारतीय मंत्रालयों और चीन के दूतावास से प्रमाण-पत्र लेने और चीन की प्रांतीय सरकारों से मंजूरी की जरूरत होती है। इस कठिन प्रक्रिया के कारण भारतीय ऑटो कंपनियों को जरूरी मैग्नेट की आपूर्ति में देरी हो रही है।

भारतीय वाहन उद्योग की प्रतिक्रिया

भारतीय वाहन उद्योग (ऑटो इंडस्ट्री) के प्रमुख संगठनों - सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) और ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एसीएमए) ने सरकार से दखल की माँग की है। उद्योग का कहना है कि अगर हालात में जल्द सुधार नहीं हुआ तो जुलाई 2025 तक उत्पादन ठप हो सकता है।

प्रमुख ऑटो कंपनियों की स्थिति

बजाज ऑटो : कंपनी ने कहा है कि अगर आपूर्ति में सुधार नहीं हुआ तो जुलाई से उसके इलेक्ट्रिक स्कूटरों का उत्पादन गिर सकता है।

मारुति सुजुकी : कंपनी ने कहा है कि अभी उसके उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा है, लेकिन अगर आपूर्ति में देरी जारी रही, तो भविष्य में समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं।

महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स ने भी सरकार से दखल की माँग की है और चीन से आपूर्ति में तेजी लाने का अनुरोध किया है।

समाधान के लिए कोशिशें

सियाम और एसीएमए के प्रतिनिधियों का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल चीन जा कर वहाँ के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करने की योजना बना रहा है, ताकि जरूरी मंजूरी की प्रक्रियाओं में तेजी लायी जा सके और आपूर्ति बहाल हो सके। इसके अलावा, कुछ कंपनियाँ वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रही हैं, जिसमें अन्य एशियाई देशों से आयात करना शामिल है।

भारत की दीर्घकालिक रणनीति

भारत के पास ग्लोबल रेयर अर्थ मिनिरल्स के लगभग 6% भंडार हैं, लेकिन अभी इसका उत्पादन बहुत कम है। जानकारों का मानना है कि भारत को इन संसाधनों को धरती से निकालने और प्रोसेसिंग में निवेश बढ़ाना चाहिए, ताकि भविष्य में आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) में आने वाली इस तरह की परेशानियों से बचा जा सके।

यह इसलिए भी जरूरी है कि चीन के साथ भारत के संबंध सहज नहीं हैं। अभी तो चीन ने ये प्रतिबंध खास कर अमेरिका पर चोट करने के लिए लगाये हैं, लेकिन भविष्य में वह रेयर अर्थ खनिजों पर अपने एकाधिकार का उपयोग विशेष कर भारत को नुकसान पहुँचाने के लिए भी कर सकता है। ऑपरेशन सिंदूर के समय जिस तरह चीन ने खुल कर पाकिस्तान का साथ दिया, वह दिखाता है कि भारत कभी चीन को लेकर आश्वस्त नहीं रह सकता। (शेयर मंथन, 3 जून 2025)

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