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शेयर बाजार में निर्मल बाबा की चटनी

राजीव रंजन झा : घूम फिर कर वही सवाल - शेयर बाजार तो उतार-चढ़ाव के हर चक्र के बाद, कुछ सालों के एक नियमित अंतराल के बाद पहले से कहीं ऊपर ही नजर आता है, फिर इस बाजार में आम निवेशक पैसे क्यों गँवाता है?

इस शनिवार को नोएडा में शेयर मंथन और निवेश मंथन की चाय पार्टी में हुई गपशप में निवेशकों का यही दर्द फिर से उभरता दिखा। लेकिन यह भी दिखा जो लोग इस बाजार के मिजाज को समझ कर, इसके खतरों को देख कर उनसे बचते हुए सही रणनीति पर चलते हैं, वे इस बाजार में अच्छे पैसे भी कमाते हैं। एक मित्र ने अपनी डायरी दिखायी कि किस तरह चंद महीनों के अंदर उन्होंने करीब 11 लाख रुपये से शुरू करके अपने पैसों को 21 लाख रुपये पर पहुँचा लिया। उस मित्र को बधाई!

वैसे यह उदाहरण अतिरेकी भी है। शेयर बाजार में पैसा लगाते समय सबसे पहला सबक यही होना चाहिए कि आप अपनी उम्मीदों को संयत रखें। यहाँ लॉटरी नहीं लगने वाली। कुछ हफ्तों या महीनों में पैसे दोगुने नहीं होने वाले। कभी-कभी हो जाते हैं, जैसे इस मित्र के हो गये, लेकिन यह हमेशा की कहानी नहीं हो सकती। और कभी नुकसान भी होगा। कुल मिला कर आपका औसत लाभ एक सीमा से आगे नहीं होगा। आप 15-20% सालाना लाभ कमा सकें तो अच्छा। इससे कुछ ज्यादा लाभ कमा सकें तो और अच्छा। लेकिन इससे भी आगे और ऊँचा लाभ पाना चाहें तो आपकी हालत उस बल्लेबाज जैसी होगी, जो एक गेंद पर छक्का लगा कर जोश में आ जाता है और अगली ही गेंद पर सीमा-रेखा से चार फुट पहले लपक लिया जाता है।

कुछ मोटी-मोटी बातें बार-बार दोहराने की जरूरत महसूस होती है। लोग अब भी किसी निर्मल बाबा से सुनना चाहते हैं कि समोसे के साथ किस रंग की चटनी खाने पर उनके शेयरों के भाव दोगुने हो जायेंगे। लोगों को टिप्स चाहिए। उन्हें खुद नहीं समझना कि एक कंपनी अच्छा कर रही है या बुरा। उन्हें नहीं समझना कि शेयर भावों को चार्ट पर देख कर कैसे उसकी चाल समझी जाये। उन्हें किसी बाबा जी से टिप्स का प्रसाद चाहिए। लेकिन प्रसाद के नाम पर मिल जाता है बाबा जी का ठुल्लू!

बाजार तेजी के एक नये दौर में है। हर दौर में नये निवेशक बाजार में आते हैं। पुराने निवेशकों में से बहुत कम बाजार में बाकी रह जाते हैं। इसीलिए देश में शेयर बाजार के निवेशकों का प्रतिशत बढ़ नहीं पाता। लोग इल्जाम लगाते हैं कि ब्रोकरों ने निवेशकों को हलाल करने वाली मुर्गियाँ मान रखा है। उनके आरोप में दम होगा। लेकिन निवेशकों को तो समझना चाहिए कि वे मुर्गियाँ नहीं, इंसान हैं। उन्हें अपनी समझ इस्तेमाल करनी चाहिए। कल विवेक नेगी ने बड़ी अच्छी बात कही कि आप 10,000 रुपये का मोबाइल फोन खरीदने के लिए तो हर तरह की खोज-बीन करते हैं, लेकिन कहीं किसी शेयर में एक लाख रुपये लगा देने से पहले जरा भी जानकारी नहीं जुटाते हैं। बस कोई बता दे कि यह शेयर चलने वाला है!

अगर आप इसी ढंग से शेयर खरीदते हैं, तो न आयें इस बाजार में। यहाँ पैसे कमाने हैं तो खुद मेहनत करनी होगी। पढ़ना-सीखना होगा। अपने नियम बनाने होंगे, उनका अनुशासन मानना होगा। फिर तो कभी-कभी 11 लाख के 21 लाख भी हो जाते हैं इस बाजार में, भले ही पहले से वैसी उम्मीद पाल कर न चला जाये। Rajeev Ranjan Jha

(शेयर मंथन, 02 जून 2014)

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