शेयर मंथन में खोजें

नया शिखर छूने की आस : शेयर मंथन सर्वेक्षण

साल 2016 में सेंसेक्स और निफ्टी 50 साल 2015 के रिकॉर्ड ऊपरी स्तरों को पार कर सकते हैं। यह बात सामने आयी है शेयर मंथन की ओर से भारतीय शेयर बाजार के दिग्गजों के सबसे बड़े सर्वेक्षण में। 

अगर साल 2014 ने भारतीय शेयर बाजार का खोया आत्मविश्वास लौटाया था और प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स को करीब 30% की बढ़त दिलायी थी, तो साल 2015 जमीनी हकीकत के बारे में लोगों को असमंजस में डालने वाला रहा। बाजार ने अर्थव्यवस्था और कंपनियों की आय में तेजी लौटने की जो आस लगायी थी, वह आस लगातार आगे की ओर खिसकती रही। मगर वह आशा अब भी कायम है और इसीलिए 2015 का साल कमजोर रहने के बावजूद विश्लेषकों ने 2016 को लेकर निराशा की झलक नहीं दिखलायी है। इतना जरूर है कि उम्मीदें पहले से हल्की हैं और लोगों के लक्ष्य नीचे खिसक आये हैं। लेकिन साल के अंत तक सेंसेक्स और निफ्टी के लक्ष्यों की बात हो या साल के दौरान बन सकने वाले उच्चतम स्तर की, यह दिखता है कि 2016 के दौरान पिछले साल के ऐतिहासिक शिखर को पार कर नया शिखर बना लेने की उम्मीद की जा रही है।

sensex nifty graph survey jan 2016

साल 2014 के अंत में बीएसई का 30 दिग्गज शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 27,499 पर था। जनवरी 2015 के अंक में हमारे सर्वेक्षण में विश्लेषकों का औसत अनुमान था कि दिसंबर 2015 के अंत तक सेंसेक्स 31,553 पर पहुँचना चाहिए। यानी तब विश्लेषक साल 2015 में 14.7% की तेजी रहने की उम्मीद कर रहे थे। मगर अब 2015 के अंत में सेंसेक्स 26,118 पर बंद हुआ है, यानी साल भर में इसमें 5% की गिरावट आ गयी है। एनएसई के 50 प्रमुख शेयरों की चाल दर्शाने वाला प्रमुख सूचकांक निफ्टी 50 साल 2015 के अंतिम दिन 7,946 पर बंद हुआ और इसने 31 दिसंबर 2014 के बंद स्तर 8,283 की तुलना में बीते साल के दौरान 337 अंक या 4.1% की गिरावट दर्ज की।
छह महीने पहले जुलाई 2015 में हमारे सर्वेक्षण में विश्लेषकों का औसत अनुमान था कि दिसंबर 2015 के अंत में सेंसेक्स 29,544 पर होना चाहिए। यानी जनवरी 2015 से जुलाई 2015 तक लोगों के अनुमान नीचे आ गये थे, मगर साल के अंत में वास्तविक परिणाम जुलाई के अनुमानों से भी कमजोर रह गया। सेंसेक्स सितंबर और दिसंबर 2015 में 25,000 के नीचे भी फिसला और दिसंबर के अंत में यह 26,000 के थोड़ा ऊपर-नीचे घूमता दिखा। अंत में 31 दिसंबर 2015 को इसके कुछ ऊपर 26,118 पर बंद हुआ। इस तरह वर्ष के अंत में सेंसेक्स का वास्तविक बंद स्तर छह महीने पहले के अनुमानों की तुलना में लगभग साढ़े तीन हजार अंक नीचे है।
छह महीने पहले ही बाजार में यह चिंता फैलने लगी थी कि सरकार महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों के लिए जरूरी विधेयकों को पारित नहीं करा पा रही है। इनमें भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन और जीएसटी लागू करने के विधेयक शामिल हैं। अब भूमि अधिग्रहण पर तो बाजार ने कोई उम्मीद नहीं लगा रखी है, वहीं जीएसटी के बारे में संसद के शीतकालीन सत्र के आरंभ में बनी उम्मीदें बेकार हो गयीं। अब बाजार मान चुका है कि जीएसटी अप्रैल 2017 से ही लागू हो सकेगा, अप्रैल 2016 से नहीं।
इसके साथ ही आर्थिक विकास दर और कंपनियों की आय के अनुमान भी पहले के मुकाबले हल्के हो गये हैं। विकास दर में अच्छी तेजी आने की उम्मीदें मृगतृष्णा की तरह छका रही हैं और लोग हर तिमाही-छमाही में सोचते हैं कि चलो इस बार ज्यादा सुधार नहीं हुआ तो चलो अगली तिमाही-छमाही में हो जायेगा।
हालाँकि हमारे ताजा सर्वेक्षण से यह पता चलता है कि साल 2015 में सेंसेक्स में 5% गिरावट आने के बावजूद बाजार बहुत हताश नहीं है। बाजार यह मान रहा है कि बीते साल की तुलना में साल 2016 बेहतर ही होगा। साथ ही यह धारणा बनती दिख रही है कि मौजूदा स्तरों से और ज्यादा गिरावट आने की संभावना सीमित ही रहेगी।

(शेयर मंथन ने भारतीय बाजार के 50 दिग्गज विशेषज्ञों का सर्वेक्षण किया है। भागीदारों की संख्या के आधार पर यह भारतीय शेयर बाजार के विशेषज्ञों का सबसे बड़ा सर्वेक्षण है। इस सर्वेक्षण में आँकड़ों और टिप्पणियों के संग्रह की अवधि 21-29 दिसंबर 2015 थी।)

(शेयर मंथन, 08 जनवरी 2016)

कंपनियों की सुर्खियाँ

निवेश मंथन : डाउनलोड करें

बाजार सर्वेक्षण (जनवरी 2023)

Flipkart

विश्व के प्रमुख सूचकांक

निवेश मंथन : ग्राहक बनें

शेयर मंथन पर तलाश करें।

Subscribe to Share Manthan

It's so easy to subscribe our daily FREE Hindi e-Magazine on stock market "Share Manthan"