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एनएसई को इलेक्‍ट्र‍िसिटी फ्यूचर सौदे शुरू करने की मंजूरी मिली, एक्‍सचेंज को होंगे ये फायदे

देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को अब बाजार नियामक सेबी से इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स लॉन्च करने की मंजूरी मिल गई है। एनएसई के प्रबंध निदेशक और सीईओ, आशीष कुमार चौहान ने इसे इलेक्ट्रिसिटी डेरिवेटिव्स मार्केट के लिए एक बड़े बदलाव की शुरुआत बताया है।

उनका कहना है कि यह सिर्फ एक शुरुआत है, रेगुलेटरी मंजूरी मिलने के बाद आने वाले समय में एनएसई और भी कई नए उत्‍पाद बाजार में निवेशकों के लिए उतारेगा।

पैसे के लेन-देने से होगी डिलीवरी

इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स मार्केट का निपटान फिजिकल डिलीवरी के बजाय पैसों के लेन-देन से होगा। इससे बाजार के सभी भागीदारों को जोखिम को बेहतर तरीके से मैनेज करने में मदद मिलेगी। वहीं, एक मजबूत और पारदर्शी "डे-अहेड स्पॉट मार्केट" कीमतों की सटीक जानकारी देने में भी उपयोगी साबित होगा।

सेटलमेंट की जिम्मेदारी क्लियरिंग कॉरपोरेशन की

एनएसई इस प्रोडक्ट को चरणबद्ध तरीके से लागू करेगा ताकि बाजार की पारदर्शिता बनी रहे और निवेशकों का भरोसा और बढ़े। एनएसई की सहयोगी कंपनी एनएसई क्लियरिंग लिमिटेज, जो भारत की सबसे बड़ी क्लियरिंग कॉरपोरेशन है, क्लियरिंग और सेटलमेंट की जिम्मेदारी संभालेगी।

यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि एनएसई का ये नया उत्‍पाद बाजार नियामक सेबी के रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म पर लॉन्च किया जाएगा। ये इसे उन स्पॉट इलेक्ट्रिसिटी बाजारों से अलग बनाता है जो आईईएक्स यानी इंडियन एनर्जी एक्सचेंज जैसे प्लेटफॉर्म्स पर चलते हैं। दरअसल, एनएसई का मानना है कि इलेक्ट्रिसिटी डेरिवेटिव्स मार्केट वैश्‍विक स्‍तर पर एक बड़ा कमोडिटी बाजार है और भारत में इसकी एंट्री से पावर खरीददारों, बेचने वालों और उत्‍पादकों को कीमतों के उतार-चढ़ाव से बचाव में मदद मिलेगी।

एनएसई कर रहा है तेजी से काम

इसी के साथ, एनएसई अपनी को-लोकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर को भी तेजी से बढ़ा रहा है। पिछले महीने की अर्निंग कॉल में एनएसई ने बताया था कि उन्हें को-लोकेशन रैक स्पेस के लिए लगातार एप्लिकेशन मिल रहे हैं और इस कारण एक लंबा बैकलॉग बन गया है। इसे दूर करने के लिए एनएसई अगले वित्‍त वर्ष की पहली तिमाही तक 300 नये रैक जोड़ने जा रहा है। इससे वेटिंग लिस्ट में काफी कमी आने की उम्मीद है, हालाँकि पूरी तरह से बैकलॉग खत्म करने में कुछ और महीने लग सकते हैं।

लंबे समय की जरूरतों को देखते हुए एनएसई ने अपने को-लोकेशन फैसिलिटी को 2,000 रैक्स तक विस्तार देने का प्लान बनाया है। ये काम चरणों में किया जाएगा और इसकी कुल लागत करीब 520 से 550 करोड़ रुपये के बीच आंकी गयी है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो एनएसई का ये कदम न सिर्फ भारत में इलेक्ट्रिसिटी ट्रेड को एक नई दिशा देगा, बल्कि ऊर्जा क्षेत्र में निवेशकों और बाजार के पार्टिसिपेंट्स के लिए एक बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बाजार इस बदलाव को किस तरह अपनाता है और इससे बिजली क्षेत्र में कितना परिवर्तन आता है।

(शेयर मंथन, 13 जून 2025)

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