किफायती घरों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक ने 10 लाख रुपये या उससे कम कीमत के घरों के लिये होम लोन के नियमों में राहत दी है।
नये नियमों के मुताबिक आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वो घरों पर लगने वाली स्टैंप शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क को घरों की कीमतों में जोड़ कर दिये जाने वाले कर्ज की गणना करें। यानि घर की कीमत और कर्ज के अनुपात (लोन टू वैल्यू अनुपात) की गणना करते वक्त घर की कीमत में स्टैंप शुल्क और रिजिस्ट्रेशन शुल्क भी जोड़े जाएं। रिजर्व बैंक के मुताबिक उनके सामने ये तथ्य रखा गया है कि ये शुल्क घरों की कीमत के 15% तक होते हैं और निचली आय वर्ग के लिये बड़ा बोझ साबित होते हैं जिसकी वजह से वो घर नहीं खरीद पाते। ऐसे में अगर पूरी रकम को कर्ज की गणना में शामिल किया जाता है तो किफायती घरों की बिक्री बढ़ायी जा सकेगी।
फिलहाल बैंक कर्ज देते वक्त मकान की कीमत में शुल्क को सम्मिलित नही करते जिससे घर खरीदने वाले को इस रकम का प्रबंध खुद करना पड़ता है। जो कि कई बार निम्न आय वर्ग के लिये संभव नहीं हो पाता। माना जा रहा है कि नये नियम से ग्राहक की जेब पर बोझ काफी कम होगा और किफायती घरों की बिक्री बढ़ सकेगी। (शेयर मंथन, 7 मार्च 2015)