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गिरावट पर करें दो-तीन साल के लिए खरीद

आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने मई के तीसरे हफ्ते में जारी अपनी सलाह में इक्विटी डायवर्सिफाइड फंड, इक्विटी इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, इक्विटी फार्मा फंड, बैलेंस्ड फंड के लिए अल्पकाल और दीर्घकाल, दोनों दृष्टि से पिछले माह की ही तरह सकारात्मक सलाह दी है।

ब्रोकिंग फर्म ने इनकम फंड के लिए पिछले माह की तरह ही अल्प और दीर्घकाल में सकारात्मक और अति अल्पकाल में उदासीन रहने की सलाह दी है।मंथली इनकम प्लान्स (एमआईपी) के लिए पिछले माह की तरह ही इस माह भी अल्पकाल के लिए उदासीन और दीर्घकाल के लिए सकारात्मक सलाह है।
इक्विटी बैंकिंग फंड के लिए ब्रोकिंग फर्म ने अल्पकाल में नकारात्मक और दीर्घकाल में उदासीन सलाह बरकरार रखी है। इक्विटी एफएमसीजी फंड, इक्विटी टेक्नोलॉजी फंड, आर्बिट्राज फंड, लिक्विड फंड और गिल्ट फंड के लिए पिछले माह की तरह इस माह भी अल्पकाल और दीर्घकाल, दोनों अवधियों में उदासीन सलाह दी गयी है।
इक्विटी बाजार
वर्ष की शुरुआत में आयी गिरावट से मार्च और अप्रैल में तेज सुधार के बाद भारतीय इक्विटी बाजार मई, 2016 में ठहराव के दौर से गुजरा है। कुल मिला कर इक्विटी बाजारों में निम्न स्तरों पर सस्ते मूल्य पर खरीद के साथ व्यापक दायरे में सौदे होते दिखे और उच्च स्तरों पर थोड़ी मुनाफावसूली दिखी।
मार्च की 4.83% की छह माह की न्यूनतम स्तर की महँगाई अप्रैल में बढ़ कर 5.39% हो गयी। महँगाई में यह बढ़त सब्जियों, फलों और चीनी कीमतों में काफी वृद्धि के कारण अप्रैल के दौरान खाद्य मूल्य सूचकांक (मार्च में 5.2% के मुकाबले अप्रैल में 6.3%) बढ़ने से हुई। खाद्य कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि उच्च तापमान और देश के कुछ हिस्सों में जल संकट के कारण हो सकती है जिससे कुछ खाद्य कीमतें अल्पकाल में ऊँची बनी रह सकती हैं जबकि अच्छा मानसून इन नकारात्मक कारकों को खत्म कर सकता है।
बैंकिंग, रियल एस्टेट उपभक्ता वस्तु और पूँजीगत वस्तु जैसे पिटे हुए सेक्टरों ने बजट के बाद बाजार में आयी तेजी के बाद से अच्छा प्रदर्शन किया है। नकारात्मक परिदृश्य के टलते तेल और गैस और पीएसयू सेक्टर का प्रदर्शन खराब रहा है।
परिदृश्य
फिलहाल भारतीय बाजारों पर वैश्विक कारकों का प्रभुत्व चल रहा हैं। इसलिए वैश्विक पूँजी बाजारों में किसी भी घटनाक्रम का भारतीय इक्विटी बाजारों पर असर पड़ने की संभावना है।सड़क, रेलवे और बिजली जैसे क्षेत्रों में सरकार की सक्रियता के साथ नरम महँगाई, सामान्य मानसून की बढी उम्मीदों और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल जैसे घरेलू व्यापक आर्थिक कारक आर्थिक गतिविधियों को बहुप्रतीक्षित प्रोत्साहन देने को तैयार हैं।भारतीय बाजारों में मार्च, 2015 से फरवरी, 2016 तक गिरावट का रुख रहा जिसमें बजट के बाद कुछ सुधार आया। बाजार फरवरी 2016 में अल्प अवधि की तलहटी बनाते दिखे। भारतीय बाजार अल्प अवधि में ठहराव के दौर से गुजर सकते हैं लेकिन पिछले वर्ष शुरू गिरावट का रुख पलट गया लगता है। वित्त वर्ष 2015-16 की चौथी तिमाही के लिए अब तक आये अधिकांश नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे हैं। सेक्टरवार देखा जाये तो ऑटो, निजी बैंक और एबीएफसी, सीमेंट, दूरसंचार और एफएमसीजी सेक्टरों की अधिकांश कंपनियों ने अच्छे नतीजे पेश किया हैं। आगामी तिमाहियों में आय वृद्धि और बढ़ने की संभावना है। वित्त वर्ष 2016-17 और 2017-18 के लिए आय वृद्धि दर पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले बेहतर रहने की उम्मीद है।
यदि वैश्विक बाजार सहायक बने रहते हैं तो भारतीय बाजारों के अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना है क्योंकि सामान्य मानसून, सरकार के नीतिगत कदमों और भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से तरलता बढ़ाये जाने से घरेलू आर्थिक परिदृश्य में सुधार हो रहा कमोडिटी कीमतों, खास कर क्रूड तेल की कीमतों में उछाल के बाद वैश्विक बाजार भी स्थित हुए दिखते हैं।ब्याज दर वृद्धि का संकेत देने में अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नरम रुख के साथ ही यूरोपीयन सेंट्रल बैंक (ईसीबी), बैंक ऑफ जापान और चीन द्वारा मौद्रिक नीति रुख में नरमी जारी रखने से वैश्विक निवेशकों की धारणा को मजबूत करने के लिए बहुप्रतीक्षित प्रोत्साहन मिला है। यहाँ महत्वपूर्ण है कि उभरते बाजारों में विदेशी निवेश की वापसी हुई है। कमोडिटी और मुद्रा बाजारों में स्थिरता से भी वैश्विक इक्विटी बाजारों पर अच्छा असर पड़ा है। ब्रोकिंग फर्म का मानना है कि निवेशकों को इक्विटी बाजारों के बारे में मजबूत धारणा रखनी चाहिए और गिरावट आने पर अगले दो-तीन वर्ष के लिए जमा करना चाहिए।
म्यूचुअल फंड उद्योग
वित्त वर्ष 2015-16 में भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग में 1,03,288 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। कुल निवेश में से 74,024 करोड़ रुपये इक्विटी और ईएलएसएस फंडों में आये। इनकम फंड 14,738 करोड़ जुटाने में समर्थ रहे। वित्त वर्ष के अंत में प्रबंधन अंतर्गत कुल संपदा (एयूएम) 12,32,824 करोड़ रुपये थी, जो वार्षिक आधार पर 14% की वृद्धि है। इसमें 46% इनकम फंडों और 31% इक्विटी फंडों की हिस्सेदारी है। अप्रैल, 2016 मे कुल 17,061 करोड़ रुपये का निवेश हुआ जिसमें 31,448 करोड़ रुपये इनकम फंडों में और 4438 करोड़ रुपये इक्विटी फंडों में आया।
बीते एक वर्ष की अवधि में मिडकैप फंडों ने लार्ज कैप फंडों को पछाड़ दिया। मिडकैप फंडों ने इस अवधि में 3.1% का सकारात्मक प्रतिफल दिया जबकि इसी अवधि में लार्ज कैप फंडों ने 4.1% का नकारात्मक प्रतिफल दिया। बीते एक वर्ष में आईटी और एफएमसीजी सेक्टर को छोड़ अन्य सभी सेक्टरों ने नकारात्मक प्रतिफल दिया। आईटी ने 6.9% और एफएमसीजी ने 4.1% का सकारात्मक प्रतिफल दिया। (शेयर मंथन, 20 मई 2016)

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