शेयर मंथन में खोजें

ट्रंप की टैरिफ नीति से मंदी, महँगाई और बेरोजगारी के त्रिकोण में फँस सकता है अमेरिका : जेरोम पॉवेल

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की अपने देश के कारोबारी साझेदारों पर टैरिफ को लेकर चाहे जो भी सोच रही हो, लेकिन फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। ब्याज दरों पर हाल ही में हुई बैठक के बाद पॉवेल ने ट्रंप की टैरिफ नीति की जहाँ खुलकर आलोचना की, वहीं अमेरिका को 55 साल के इतिहास में सबसे बुरे दौर गुजरने की चेतावनी भी दे डाली। 

फेड प्रमुख ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीति देश को स्टैगफ्लेशन में धकेल सकती है। यह वो स्थिति होती है जिसमें महँगाई बढ़ती है, आर्थिक विकास की रफ्तार कम हो जाती है या रुक जाता है और बेरोजगारी दर भी ऊपर पहुँच जाती है। इसके परिणामस्वरूप आम आदमी तीन दबाव में घिर जाता है, क्योंकि रोजमर्रा की चीजें महँगी हो जाती हैंं, आमदनी स्थिर और नौकरियाँ कम हो जाती हैं।

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए ये सबसे खतरनाक स्थिति होती है, क्याेंकि साधारण मंदी में महँगाई को ब्याज दरें घटाकर और खपत बढ़ाकर काबू किया जा सकता है। लेकिन स्टैगफ्लेशन में न तो ब्याज दरें घटाने से राहत मिलती है और न ही खर्च बढ़ाना आसान होता है। अमेरिका को इससे पहले 1970 के दशक में स्टैगफ्लेशन का सामना करना पड़ा था, जब कच्चे तेल के उत्पाद देशों ने तेल की आपूर्ति घटा दी थी। इसकी वजह से तेल जहाँ महँगा हो गया, महँगाई बढ़ गयी और विकास धीमा हो गया। इसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिला था। 

अमेरिका पर इस समस्या से भारत तत्काल प्रभावित नहीं होगा, लेकिन लंबी अवधि में इससे निर्यात उन्मुख कंपनियों और कारोबार पर असर आ सकता है। इसके अलावा विदेशी निवेश घटने से आर्थिक रफ्तार प्रभावित हो सकती है, आयात महँगा हो जायेगा जिससे महँगाई दर भी बढ़ने की आशंका रहेगी। भारतीय रुपया भी इससे अछूता नहीं रहेगा। 

ब्याज दरों पर हुई बैठक में अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने इन्हें 4.25-4.50% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया। इस मौके पर फेड अध्यक्ष पॉवल ने कहा कि ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट की नीति से देश को तीन-तरफा नुकसान उठाना पड़ सकता है। फेडरल रिजर्व ने पहली बात अर्थव्यवस्था पर आउलुक को घटाया है। 

पॉवेल इससे पहले भी अमेरिकी की आर्थिक वृद्धि में धीमापन आने की चेतावनी दे चुके हैं, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने न सिर्फ नकारा है, बल्कि उनकी तीखी आलोचना भी की थी। देखना होगा कि ट्रंप इस बार क्या पॉवेल की बात पर गौर करेंगे? ट्रंप ने चीन से वार्ता के लिए भी ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया, इसलिए फेड की चेतावनी को भी वो ठंडे बस्ते में डाल सकते हैं।  

(शेयर मंथन, 09 मई 2025)

(आप भी किसी शेयर, म्यूचुअल फंड, कमोडिटी आदि के बारे में जानकारों की सलाह पाना चाहते हैं, तो सवाल भेजने का तरीका बहुत आसान है! बस, हमारे व्हाट्सऐप्प नंबर +911147529834 पर अपने नाम और शहर के नाम के साथ अपना सवाल भेज दें।)

कंपनियों की सुर्खियाँ

निवेश मंथन पत्रिका

देश मंथन के आलेख

विश्व के प्रमुख सूचकांक

निवेश मंथन : ग्राहक बनें

शेयर मंथन पर तलाश करें।

Subscribe to Share Manthan

It's so easy to subscribe our daily FREE Hindi e-Magazine on stock market "Share Manthan"