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अप्रैल में खाने-पीने सस्ती होने से 6 साल के निचले स्तर पर आयी खुदरा महँगाई, क्या और घटेंगी ब्याज दरें

महँगाई के मोर्चे पर आम आदमी के लिए अच्छी खबर आयी है। अप्रैल 2025 में खुदरा महँगाई दर घटकर 6 साल के निचले स्तर 3.16% पर आ गयी। खाने-पीने की चीजों के दामों में कमी के कारण खुदरा महँगाई में राहत मिली है। इससे पहले जुलाई 2019 में महँगाई दर 3.15% रही थी, जबकि मार्च 2025 में ये 3.34% रही थी। 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने मंगलवार को मासिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के आँकड़े जारी किये। कीमतों में गिरावट मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, विशेषकर सब्जियों और दालों की कीमतों में आयी भारी गिरावट के कारण हुई है। खाद्य और पेय पदार्थों की मुद्रास्फीति लगातार छठे महीने धीमी होकर 2.14% पर आ गयी है।

सीपीआई में अक्टूबर 2024 से लगातार गिरवट देखने को मिल रही है। अक्टूबर में यह 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21% पर पहुँच गया था। आँकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में मुद्रास्फीति खाद्य एवं पेय पदार्थ श्रेणी में लगातार छठे महीने फिसल कर 2.14% पर आ गयी, जबकि सब्जियों के दाम में 10.98% की कमी देखी गयी। दालों के दाम जहाँ 5.23% कम हुए, तो माँस और मछली के मूल्य में अप्रैल 2024 की तुलना में 0.35% की नरमी देखी गयी। अप्रैल 2025 में जहाँ ग्रामीण महँगाई दर 3.25% से घटकर 2.92% पर आ गयी, वहीं शहरी महँगाई 3.43% से घटकर 3.36% हो गयी है।

खुदरा महँगाई में कमी आने से एक तरफ भारतीय शेयर बाजार में उत्साहजनक शुरुआत देखने को मिली। वहीं, इससे आरबीआई की आगामी मौद्रिक नीति समिति की जून तिमाही की बैठक में ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद बढ़ गयी है। हालाँकि बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के अनुसार, अगर खाद्य महँगाई के आँकड़े को गणना से बाहर रखा जाये तो कुल मुद्रास्फीति 4.1% से भी ज्यादा होगी। इसलिए अप्रैल के मुद्रास्फीति के आँकड़े भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की जून की आगामी बैठक में दरों में कटौती के लिए प्रेरित करने के नजरिये से पर्याप्त नहीं होंगे। 

सबनवीस के मुताबिक अगस्त में अंतिम फैसला लेने से केंद्रीय बैंक को मानसून का आकलन करने के साथ ही ट्रंंप टैरिफ के मसले पर भी बारीकी से विचार करना होगा। बेस इफेक्ट की वजह से मई और जून 2025 में भी महँगाई के आँकड़ों में राहत देखने को मिल सकती है। हालाँकि मौसम विभाग ने इस साथ मानसून सामान्य से बेहतर रहने का अनुमान जताया है। यह भारत जैसे देश के लिए अच्छा संकेत है, जहाँ अर्थव्यवस्था काफी हद तक कृषि पर निर्भर है। 

ब्याज दरों में कटौती के विषय पर आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा कि अप्रैल के महीने में गर्मी शुरू हो जाती है और इस दौरान खाद्य वस्तुओं, खासकर सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी देखी जाती है। लेकिन अभी तक ऐसे कोई संकेत नहीं दिखायी दे रहे हैं। 

(शेयर मंथन, 14 मई 2025)

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