2009: आसान नहीं फैसले
राजीव रंजन झा
बीते साल के दौरान निवेशकों को बाजार में जिस तरह के धक्के लगे, उसके बाद नये साल में कोई भी उम्मीद पालना उनके लिए बड़ा मुश्किल है। और फिर, उनके लिए सबसे बड़ी उलझन यह है कि आगे का रास्ता कैसा रहने वाला है, इसके बारे में हद से ज्यादा अनिश्चितता है। विश्लेषकों का एक नजरिया कहता है कि हमारी अर्थव्यवस्था अगले 6-9 महीनों में फिर से संभलने लगेगी और उस बात को महसूस करके शेयर बाजार अगले 3 महीनों में ही वापस संभलने लगेगा। दूसरा नजरिया कहता है कि हम अगले साल-डेढ़ साल तक शेयर बाजार को एक दायरे में ही जमता देखेंगे। तीसरा नजरिया कहता है कि इतनी भी क्या जल्दी है, हम तो कई सालों की मंदी के बाजार में जा चुके हैं!