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2009: आसान नहीं फैसले

राजीव रंजन झा

बीते साल के दौरान निवेशकों को बाजार में जिस तरह के धक्के लगे, उसके बाद नये साल में कोई भी उम्मीद पालना उनके लिए बड़ा मुश्किल है। और फिर, उनके लिए सबसे बड़ी उलझन यह है कि आगे का रास्ता कैसा रहने वाला है, इसके बारे में हद से ज्यादा अनिश्चितता है। विश्लेषकों का एक नजरिया कहता है कि हमारी अर्थव्यवस्था अगले 6-9 महीनों में फिर से संभलने लगेगी और उस बात को महसूस करके शेयर बाजार अगले 3 महीनों में ही वापस संभलने लगेगा। दूसरा नजरिया कहता है कि हम अगले साल-डेढ़ साल तक शेयर बाजार को एक दायरे में ही जमता देखेंगे। तीसरा नजरिया कहता है कि इतनी भी क्या जल्दी है, हम तो कई सालों की मंदी के बाजार में जा चुके हैं!

आज शुरुआत अच्छी होने की उम्मीद

अनीता गांधी, संस्थागत बिक्री प्रमुख, अरिहंत कैपिटल

एशियाई बाजारों से मजबूती के संकेत हैं, ऐसे में आज हमारे शेयर बाजारों की शुरुआत अच्छी हो सकती है। यानी हम यह कह सकते हैं कि कल की तेजी जारी जारी रहने की संभावना है। लेकिन दिन बीतने के साथ बाजारों में मुनाफावसूली आ सकती है। अभी बाजारों के सामने बड़ी चिंताएं बरकरार हैं।

भारतीय शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव

1.34: हफ्ते के आखिरी दिन सेंसेक्स में केवल 135 अंकों के सीमित दायरे में कारोबार होता दिख रहा है। इस समय सेंसेक्स 80 अंकों की मजबूती के साथ 9,983 पर है। निफ्टी 19 अंकों की बढ़त के साथ 3,052 पर है। सीएनएक्स मिडकैप सूचकांक में 1.9% की मजबूती है। बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक में 2% से अधिक की बढ़त है। बीएसई रियल्टी सूचकांक में 4.2% और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सूचकांक में 3.1% की मजबूती है। बीएसई टीईसीके और आईटी सूचकांकों में हल्की कमजोरी है। हिंडाल्को इंडस्ट्रीज में 4.5% , टाटा मोटर्स में 4.27% और डीएलएफ में 3.7% की मजबूती है। सत्यम कंप्यूटर्स में 2.8%  और भारती एयरटेल में 2%  की कमजोरी है।

साल 2008 में एशियाई बाजारों का रहा बुरा हाल

अमेरिकी शेयर बाजारों से एशियाई शेयर बाजारों के अलगाव की बहस बेशक जारी है, लेकिन साल 2008 में एशियाई बाजार भी अच्छी-खासी गिरावट के शिकार बने। चीन के शंघाई कंपोजिट का हाल सबसे बुरा रहा और इस दौरान इसमें 65.4% की भारी गिरावट आयी। जापान के निक्केई सूचकांक में इस साल के दौरान 42% से अधिक की गिरावट आयी, जबकि ताइवान के ताइवान वेटेड में 46% की कमजोरी रही।

हम काफी लंबी मंदी के दौर में

शंकर शर्मा, वाइस चेयरमैन, फर्स्ट ग्लोबल

इस साल के मध्य तक बाजार में मंदी का रुख रहेगा और उसके बाद यह कुछ वापस संभलेगा। कुल मिला कर अगले कई सालों तक भारतीय बाजार अपने पिछले शिखर को नहीं छू सकेगा। हम काफी लंबी मंदी के दौर में जा चुके हैं।

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