आईसीआईसीआई बैंक के तिमाही नतीजों ने बाजार को मुनाफे और डूबे कर्ज (एनपीए) दोनों मोर्चों पर निराश किया।
इसका तिमाही मुनाफा साल-दर-साल 14.1% बढ़ कर 2,889 करोड़ रुपये हो गया। पिछले कारोबारी साल की समान तिमाही में इसका मुनाफा 2,532 करोड़ रुपये था। बाजार विश्लेषकों का अनुमानों की तुलना में इस बार का तिमाही मुनाफा कुछ पीछे रह गया।
वहीं बैंक की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) 13.1% बढ़ कर 4,812 करोड़ रुपये रही, जो पिछली बार 4,255 करोड़ रुपये थी। यह भी अनुमानों से कुछ कम रही। शुद्ध ब्याज आय किसी बैंक की कुल ब्याज आय और ब्याज पर हुए खर्च का अंतर है। आईसीआईसीआई बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) अक्टूबर-दिसंबर 2013 के 3.32% और जुलाई-सितंबर 2014 के 3.42% की तुलना में बीती तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर 2014 में 3.46% रहा। इस तरह एनआईएम में कुछ सुधार दिखा है।
मगर बाजार की चिंता बढ़ाने का मुख्य कारण बना बैंक के डूबे कर्जों में इजाफा होना। डूबे कर्जों के लिए तिमाही प्रावधान (प्रोविजनिंग) साल-दर-साल 41% बढ़ कर 979.7 करोड़ रुपये हो गया। ठीक पिछली तिमाही की तुलना में भी इसमें 15.4% बढ़ोतरी हुई।
इसका सकल एनपीए सालाना आधार पर 0.35% अंक और तिमाही-दर-तिमाही 0.28% अंक बढ़ कर 3.4% हो गया। शुद्ध एनपीए भी सालाना आधार पर 0.33% अंक और तिमाही-दर-तिमाही 0.18% अंक बढ़ कर 1.27% हो गया।
शुक्रवार की दोपहर में बैंक के नतीजे आने के बाद इसके शेयर भाव में अचानक तीखी गिरावट दर्ज की गयी। हालाँकि शुक्रवार को सुबह से ही यह शेयर कुछ कमजोर चल रहा था, मगर नतीजे आने के बाद बीएसई में इसका भाव लगभग 372 रुपये से टूट कर 354.80 रुपये तक चला गया, जहाँ दिन की तलहटी बनी। अंत में यह 18.80 रुपये या 4.95% गिरावट के साथ 361.15 रुपये पर बंद हुआ। (शेयर मंथन, 30 जनवरी 2015)
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