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इन्फोसिस (Infosys) का शेयर भाव जायेगा 4000-4500 तक?

राजीव रंजन झा : इन्फोसिस (Infosys) के पिछले तिमाही नतीजे आने पर इसने बीती बहुत सारी तिमाहियों की तरह एकदम से बड़ी छलाँग या बड़ा गोता लगाने का काम नहीं किया था और आज एक बार फिर नतीजों के बाद इसको लेकर बाजार की प्रतिक्रिया जरा संयत ही रही।
बाजार खुलने पर इन्फोसिस करीब डेढ़ फीसदी ऊपर नजर आया और फिर धीरे-धीरे इसकी बढ़त करीब 3% तक पहुँची है। इन्फोसिस के शेयर का यह व्यवहार हद से ज्यादा उतार-चढ़ाव आने की आशंका को दूर करेगा और बहुत से निवेशकों को इसके बारे में फिर से आश्वस्त करेगा।
पिछले तिमाही नतीजे के बाद मैंने लिखा था कि "कंपनी अब अपने सालाना प्रदर्शन को पहले से ज्यादा स्पष्ट ढंग से देख पा रही है। इस स्पष्टता को कंपनी में एन आर नारायणमूर्ति की वापसी का पहला दिखने वाला असर माना जा सकता है।" कंपनी के इस बार के नतीजों में रखे गये अनुमान इसी बात की पुष्टि करते हैं, क्योंकि कंपनी ने अपनी डॉलर आय के अनुमान को बढ़ा कर 11.5%-12.0% कर दिया है। पिछले तिमाही नतीजे में यह अनुमान 9%-10% का था।
जरा ताजा अनुमान की तुलना कारोबारी साल की शुरुआत में रखे गये 6%-10% वृद्धि के अनुमान से करें। न केवल अनुमान ऊपर की ओर बढ़े हैं, बल्कि निचले और ऊपरी छोर का दायरा घटने से उसका बढ़ता आत्मविश्वास भी दिखता है। बेशक, जब तीन तिमाहियों के आँकड़े आपके पास हों, तो आपके पास अनुमान लगाने को बहुत कम बचता है। फिर भी ताजा तस्वीर पहले से ज्यादा आश्वस्त करती है।
बाजार विश्लेषकों को सबसे सुकून देने वाली बात यह है कि कंपनी ने एबिट मार्जिन 1.42% अंक बढ़ा कर 25% कर लिया है। इन नतीजों के बाद ब्रोकिंग फर्मों का आकलन है कि आने वाले समय में कंपनी यह मार्जिन और भी सुधार सकती है। इस सुधार की गुंजाइश बनती है कर्मचारियों के उपयोगिता (यूटिलाइजेशन) के प्रतिशत को बेहतर करके, जो अभी अन्य समकक्ष आईटी कंपनियों की तुलना में करीब 3% कम है। लेकिन साथ में यह भी ध्यान रखना होगा कि बीती तिमाही में मार्जिन में सुधार का एक प्रमुख कारण बिक्री और मार्केटिंग के खर्चों में कटौती है। अगर कंपनी को तेज वृद्धि पर ध्यान देना है, तो इसे फिर से बिक्री और मार्केटिंग का खर्च बढ़ाना होगा।
बीते एक अरसे में कंपनी के शीर्ष प्रबंधन के लोगों के छोड़ कर जाने से बाजार में कुछ चिंता बनी रही है। विश्लेषक इस बात से भी कुछ विचलित हैं कि एन. आर. नारायणमूर्ति के दोबारा चेयरमैन बनने के बाद यह भगदड़ थमने के बदले शायद कुछ तेज ही हुई है। लेकिन ऐसा लगता है कि यह शीर्ष प्रबंधन के पुनर्गठन की प्रक्रिया का हिस्सा है और शायद अभी यह प्रक्रिया कुछ समय तक चलती रहे। गौरतलब है कि नारायणमूर्ति के चेयरमैन पद से हटने और वापस आने के बीच कंपनी के कार्यकारी प्रबंधन में काफी फेरबदल हो चुका था। इसलिए संभव है कि यह सब नारायणमूर्ति के मन-मुताबिक टीम बनाने की कवायद हो।
लेकिन ऐसा नहीं लगता कि अभी कंपनी पूरी तरह से आक्रामक वृद्धि की ओर बढ़ना चाहती है। अगर इसने आक्रामक वृद्धि का लक्ष्य रखा होता तो कर्मचारियों की संख्या में शुद्ध रूप से 1823 लोगों की गिरावट नहीं आयी होती। अभी शायद नारायणमूर्ति की रणनीति मौजूदा कामकाज को ठोस बनाने की है। इसीलिए नयी भर्तियों पर अंकुश है और केवल छोड़ कर जाने वाले लोगों की भरपाई की जा रही है, वह भी सीमित रूप में।
यही बात हमें शुद्ध बिक्री में तिमाही-दर-तिमाही केवल 0.5% वृद्धि में नजर आती है। शुद्ध बिक्री लगभग सपाट रहने के बावजूद मार्जिन में सुधार और शुद्ध लाभ में 19.4% वृद्धि कामकाजी सुधार और खर्चों पर नियंत्रण का नतीजा है। कुछ हद तक इसमें अन्य आय में वृद्धि ने भी योगदान किया है, खास कर विदेशी मुद्रा लाभ (फॉरेक्स गेन) ने।
इन नतीजों के बाद ज्यादातर ब्रोकिंग फर्म इन्फोसिस के अपने लक्ष्य भाव को बढ़ायेंगे, क्योंकि ज्यादातर फर्मों के मौजूदा लक्ष्यों तक इन्फोसिस का शेयर भाव पहले ही पहुँच चुका है। मौजूदा नतीजे और कंपनी की टिप्पणियों से विश्लेषकों का भरोसा बढ़ता दिख रहा है।
पिछले तिमाही नतीजे के दिन 11 अक्टूबर 2013 की सुबह मैंने लिखा था कि " इन्फोसिस का शेयर आगे चल कर मजबूती का रुझान बनाये रख सकता है। इसने 3500 का जो शिखर बनाया था, उसे फिर से छू लेने की संभावनाएँ अच्छी दिखने लगी हैं।" उस समय 10 अक्टूबर 2013 का बंद भाव 3128 का था। अभी जनवरी की शुरुआती में इसने 3500 का लक्ष्य हासिल कर लिया और 6 जनवरी 2014 को इसने 3580 का स्तर छू लिया था, जो इसका 52 हफ्तों का सबसे ऊपरी स्तर है। आज सुबह की उछाल में यह इसे पार तो नहीं कर पाया, लेकिन इसके करीब तक जाने में सफल रहा। अभी इन पंक्तियों के लिखते समय यह 3550 के आसपास चल रहा है।
भविष्य के लिए मैं निवेश मंथन के अक्टूबर 2013 के अंक में लिखी गयी बात दोहराना चाहूँगा कि "3500 पार होने के बाद आने वाले वर्षों में 4000 और 4500 तक के लक्ष्य बन सकते हैं।" इसे 4500 तक जाने में शायद जून-जुलाई 2015 तक का समय लग जाये। Rajeev Ranjan Jha 
(शेयर मंथन, 10 जनवरी 2014)

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