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शुरुआती कारोबार में लुढ़के एशियाई बाजार

गुरुवार को यूरोपीय और अमेरिकी बाजारों में आयी कमजोरी के बाद शुक्रवार की सुबह एशियाई बाजारों में गिरावट है। भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजे शंघाई कंपोजिट में 3.5% से अधिक कमजोरी है। निक्केई, हैंग सेंग, जकार्ता कंपोजिट और ताइवान वेटेड में 2-2.5% की गिरावट है। स्ट्रेट टाइम्स में 1.5% की कमजोरी है। कॉस्पी में भी हल्की गिरावट है।

अमेरिका की तीन बड़ी ऑटो कंपनियों को राहत दिये जाने की तात्कालिक आशाओं के धूमिल होने की खबरों के बीच गुरुवार के कारोबार में डॉव जोंस 445 अंकों या 5.6% की कमजोरी के साथ बंद हुआ।

सेंसेक्स में 323 अंकों की गिरावट

कमजोर वैश्विक संकेतों के मद्देनजर गुरुवार को भी भारतीय शेयर बाजारों के लुढ़कने का सिलसिला जारी रहा। दिन भर के कारोबार में मात्र 224 अंकों के सीमित दायरे में कारोबार करने के बाद सेंसेक्स 323 अंक या 3.68% नीचे 8,451 पर बंद हुआ। इस तरह सेंसेक्स ने 27 अक्टूबर के 8,510 के बंद स्तर को तोड़ दिया। एनएसई के निफ्टी सूचकांक में 82 अंकों या 3.11% की गिरावट रही और यह 2,553 पर बंद हुआ। सेंसेक्स ने दिन के कारोबार की शुरुआत में ही 27 अक्टूबर के बंद स्तर को तोड़ दिया और 8,400 के नीचे चला गया, लेकिन दिन भर के उतार-चढ़ाव के बाद कुछ हद तक वापसी करते हुए यह 8,451 पर बंद हुआ। इस तरह पिछले सात कारोबारी सत्रों में लगातार गिरावट दर्ज करते हुए सेंसेक्स 2,085 अंकों या लगभग 20% की चोट सह चुका है।

लाल निशान के साथ बंद हुए एशियाई बाजार

बुधवार को यूरोप और अमेरिका के शेयर बाजारों में आयी कमजोरी के बाद गुरुवार को एशियाई शेयर बाजारों में भी गिरावट का रुख रहा। जापान के निक्केई सूचकांक में 6.89% की कमजोरी आयी, जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी सूचकांक 6.7% नीचे बंद हुआ। ताइवान वेटेड में 4.53% की गिरावट दर्ज की गयी। हांगकांग का हैंग सेंग सूचकांक 4% से अधिक कमजोरी के साथ बंद हुआ। 

महँगाई दर में और गिरावट

थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महँगाई दर में और गिरावट दर्ज की गयी है और यह 8 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 0.08% घट कर 8.9% रह गयी है। इससे पिछले सप्ताह में यह 8.98% दर्ज की गयी थी। हालांकि ठीक एक वर्ष पहले महँगाई दर 3.20% रही थी।

कितना घटेगा निफ्टी कंपनियों का कुल मुनाफा?

राजीव रंजन झा

इंडिया इन्फोलाइन की एक ताजा रिपोर्ट निफ्टी कंपनियों के मुनाफे को लेकर खतरे की घंटी बजा रही है। इसमें कहा गया है कि अगली 3-4 तिमाहियों में कंपनियों का मुनाफा काफी खराब रह सकता है। दबाव वाली स्थिति (स्ट्रेस-केस) मान कर किये गये विश्लेषण में अनुमान जताया गया है कि 2008-09 की दूसरी छमाही में निफ्टी में शामिल कंपनियों का कुल मुनाफा पहली छमाही के मुकाबले 19% कम रहेगा। वहीं 2009-10 में यह मुनाफा 2007-08 के स्तर से भी नीचे जा सकता है।

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