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कितना घटेगा निफ्टी कंपनियों का कुल मुनाफा?

राजीव रंजन झा

इंडिया इन्फोलाइन की एक ताजा रिपोर्ट निफ्टी कंपनियों के मुनाफे को लेकर खतरे की घंटी बजा रही है। इसमें कहा गया है कि अगली 3-4 तिमाहियों में कंपनियों का मुनाफा काफी खराब रह सकता है। दबाव वाली स्थिति (स्ट्रेस-केस) मान कर किये गये विश्लेषण में अनुमान जताया गया है कि 2008-09 की दूसरी छमाही में निफ्टी में शामिल कंपनियों का कुल मुनाफा पहली छमाही के मुकाबले 19% कम रहेगा। वहीं 2009-10 में यह मुनाफा 2007-08 के स्तर से भी नीचे जा सकता है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक दबाव वाली स्थिति में 2008-09 के लिए निफ्टी की प्रति शेयर आय (ईपीएस) 246 रुपये रहेगी, जबकि बाजार का औसत अनुमान 279 रुपये का है। यानी बाजार के औसत अनुमान की तुलना में इंडिया इन्फोलाइन का दबाव वाली स्थिति (स्ट्रेस-केस) का अनुमान करीब 12% कम है। यही नहीं, इंडिया इन्फोलाइन ने 2009-10 में दबाव वाली स्थिति में निफ्टी की ईपीएस 238 रुपये रहने का अनुमान जताया है, जबकि फिलहाल बाजार का औसत अनुमान 325 रुपये का है। यहाँ बाजार के औसत अनुमान और इंडिया इन्फोलाइन के अनुमान का फर्क 26.76% का है।
इस फर्क से बाजार पर क्या फर्क पड़ता है? अगर हम 2007-08 में 249 रुपये के निफ्टी ईपीएस को देखें, तो अभी 2635 के स्तर पर निफ्टी का पीई अनुपात 10.58 है। अगर 2008-09 के लिए बाजार के औसत अनुमान को आधार बनायें, तो पीई अनुपात 9.44 का, और इंडिया इन्फोलाइन के स्ट्रेस-केस अनुमान को आधार बनायें, तो पीई अनुपात 10.71 का बैठता है। लेकिन अगर 2009-10 के अनुमानों को लें, तो फासला कहीं ज्यादा बड़ा हो जाता है और निफ्टी का पीई अनुपात बाजार के औसत अनुमान पर 8.11 और इंडिया इन्फोलाइन के स्ट्रेस-केस अनुमान पर 11.07 बैठता है।
अगर 2009-10 की अनुमानित आय पर निफ्टी का पीई अनुपात 11 है, तो यह न ज्यादा सस्ता, न ही महंगा है। अनिश्चितताओं के इस माहौल में यह आकर्षक तो नहीं है। लेकिन अगर यह पीई अनुपात 8 है, तो निश्चित रूप से काफी सस्ता और आकर्षक है, सारी अनिश्चितताओं के बावजूद। बाजार का औसत अनुमान निफ्टी की ईपीएस में 2008-09 में 12% की और 2009-10 में 16% की बढ़त दिखाता है, जबकि इंडिया इन्फोलाइन का स्ट्रेस-केस अनुमान इस कारोबारी साल में 1.5% और अगले कारोबारी साल में 3.2% की कमी की संभावना बताता है। कुल मिला कर उलझन यही है कि इन दोनों में से कौन-सा अनुमान हकीकत के ज्यादा करीब रहेगा। शायद जनवरी के अंत में बात कुछ साफ होगी।

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