सरकार ने जब पोस्ट-कोविड दौर में 2020 से कैपेक्स पर जोर देना शुरू किया था, तो उसका असर एक ही साल में खत्म नहीं हुआ था, बल्कि दो-तीन साल तक लगातार देखने को मिला।
बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार कहना है कि उसी तर्ज पर अगर आज कंजम्प्शन को बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, तो यह मानना गलत होगा कि 2026 में कंजम्प्शन आएगा और उसी साल खत्म हो जाएगा। कंजम्प्शन एक बार ट्रैक पकड़ लेता है तो उसका फायदा भी आमतौर पर दो से तीन साल तक चलता है। यही वजह है कि माना जा रहा है कि प्री-इलेक्शन ईयर तक ये सभी मेजर्स बाजार और अर्थव्यवस्था को सपोर्ट करते रहेंगे। चुनावी साल में इसका असर क्यों अलग हो सकता है, इस पर भी आगे चर्चा की गई है।
अगर कंजम्प्शन से दो-तीन साल का ग्रोथ पाथ मिलता है, तो क्या निफ्टी 28,000-30,000 पर ही रुक जाएगा या उससे आगे भी जाना चाहिए। अनुमान यह है कि निफ्टी सिर्फ 28-30 हजार तक सीमित नहीं रहेगा। 2028 के मध्य तक और खासकर 2028 के अंत तक निफ्टी 35,000 से 40,000 के दायरे में जाने की तैयारी कर सकता है। हालांकि यह तेजी एक ही झटके में नहीं आएगी, बल्कि अलग-अलग चरणों में होगी और इसी रास्ते का पूरा खाका पहले से तैयार किया गया है।
क्या लार्जकैप के बाद मिड और स्मॉलकैप का दौर आएगा?
इसमें सबसे ज्यादा सवाल मिडकैप और स्मॉलकैप को लेकर आते हैं। आकलन यह है कि मिड और स्मॉलकैप का असली समय आ रहा है, लेकिन उनका आउटपरफॉर्मेंस 2026 की दूसरी छमाही से शुरू होगा। उससे पहले लार्जकैप का दौर रहेगा। एक बार मिड और स्मॉलकैप ने रफ्तार पकड़ ली, तो यह ट्रेंड काफी लंबे समय तक बना रह सकता है। पहले भी यह कहा गया था कि करीब एक साल तक लार्जकैप बेहतर करेंगे और उसके बाद मिड व स्मॉलकैप आगे निकलेंगे। अब वही समय धीरे-धीरे नजदीक आता दिख रहा है।
क्या बैंक निफ्टी 2028 तक 85,000 के पार जा सकता है?
इसी आधार पर इंडेक्स के अनुमान भी रखे गए हैं। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स के लिए 2028 के अंत तक 1.50 से 1.55 लाख का स्तर एक संभावित क्लाइमैक्स पॉइंट माना गया है। वहीं स्मॉलकैप इंडेक्स के लिए 35,000 से 40,000 का दायरा रखा गया है, क्योंकि स्मॉलकैप में उतार-चढ़ाव ज्यादा होता है। निफ्टी को सपोर्ट देने वाला सबसे बड़ा इंडेक्स बैंक निफ्टी माना गया है, जिसके लिए 2028 तक 85,000 या उससे ऊपर का लक्ष्य रखा गया है।
इसके साथ एक बेहद अहम चेतावनी भी दी गई है। अगर निफ्टी 2026 या 2027 में ही 28,000-30,000 के स्तर पर पहुंच जाता है, तो उसके बाद बाजार में एक्सट्रीम वोलैटिलिटी देखने को मिल सकती है और 10% तक का करेक्शन भी संभव है। लेकिन इसे डरने की वजह नहीं, बल्कि खरीदारी के मौके के रूप में देखना चाहिए। अगर निवेशक 2028 तक का समय लेकर चलते हैं, तो ऐसे करेक्शन लंबे समय में बड़ा फायदा दे सकते हैं।
इन अनुमानों का आधार केवल अनुमान नहीं, बल्कि पिछले बाजार चक्रों का अनुभव है। 2021 से बनी तेजी, 2023 में नया बेस और 2024 में बना पीक, इन सभी चरणों को देखने के बाद यह समझ आता है कि पिछली रैली इसलिए जल्दी खत्म हुई क्योंकि कॉरपोरेट प्रॉफिट ग्रोथ नहीं आई, ईपीएस नहीं बढ़ा और वैल्यूएशन महंगे हो गए। साथ ही जियोपॉलिटिकल टेंशन और टैरिफ वॉर ने भी नकारात्मक असर डाला। अब अगर 2026 के आसपास ट्रेड डील्स और वैश्विक तनाव कुछ हद तक शांत होते हैं, तो बाजार के लिए माहौल ज्यादा अनुकूल बन सकता है, भले बीच-बीच में छोटे-मोटे झटके आते रहें।
आगे का चक्र लगभग ढाई साल का माना जा रहा है। 2026 से नई तेजी की शुरुआत होगी, 2027 में यह तेजी और मजबूत होगी और 2028 में यह चक्र अपने शिखर पर पहुंच सकता है। 2029 में चुनावी साल होने की वजह से गहरी करेक्शन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि उस समय सरकार का फोकस ज्यादा चुनाव पर रहेगा और सुधारों की गति थोड़ी धीमी पड़ सकती है।
https://www.youtube.com/live/eM8kyK15c5w
(शेयर मंथन, 29 दिसंबर 2025)
(आप किसी भी शेयर, म्यूचुअल फंड, कमोडिटी आदि के बारे में जानकारों की सलाह पाना चाहते हैं, तो सवाल भेजने का तरीका बहुत आसान है! बस, हमारे व्हाट्सऐप्प नंबर +911147529834 पर अपने नाम और शहर के नाम के साथ अपना सवाल भेज दें।)