सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की वित्तीय स्थिति में सुधार होने से बैंक की पीसीए से बाहर आने की संभावना बढ़ गई है।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया फिलहाल एकमात्र बैंक है जो आरबीआई के पीसीए फ्रेमवर्क के दायरे में है। बैंक आरबीआई को रिप्रजेंटेशन दे चुका है। इस रिप्रजेंटेशन में बैंक ने आरबीआई (RBI) को वित्तीय मानकों मे लगातार सुधार होने की जानकारी दी है। पीटीआई के मुताबिक बैंक के प्रदर्शन में सुधार पिछले पांच तिमाही से लगातार जारी है। पीटीआई के मुताबिक आरबीआई बैंक के अनुरोध पर विचार कर रहा है। आरबीआई जल्द ही बैंक के गुणवत्तायुक्त और आंकड़ों से जुड़े प्रदर्शन पर अपनी राय देगा। मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2023 की पहली तिमाही में बैंक के मुनाफे में 14.2% की बढ़ोतरी देखने को मिली है। सालाना आधार पर मुनाफा 205.58 करोड रुपये से बढ़कर 234.78 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में बैंक का ग्रॉस एनपीए (NPA) घटकर 14.9 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है। वहीं इसी अवधि में पिछले साल ग्रॉस एनपीए 15.92 फीसदी के स्तर पर था। वहीं नेट एनपीए (NPA) पिछले साल के पहली तिमाही में 5.09 फीसदी से घटकर 3.93 फीसदी तक पहुंच गया है। इसके अलावा दो सरकारी बैंक आरबीआई के पीसीए फ्रेमवर्क से सितंबर 2021 में ही बाहर आ चुके हैं। यह दोनों बैंक इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक हैं। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को आरबीआई के पीसीए फ्रेमवर्क में जून 2017 में डाला गया था। बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क में डालने की वजह एनपीए का ज्यादा होना था।साथ ही रिटर्न ऑन एसेट यानी आरओए (ROA) भी काफी कम था। बैंकों की पीसीए फ्रेमवर्क के तहत तभी डाला जाता है जब वे कुछ खास नियामकीय जरुरतों का उल्लंघन करते हैं। इसमें रिटर्न ऑन एसेट, मिनिमम कैपिटल और एनपीए का स्तर शामिल है। एनपीए में लेंडिंग, प्रबंधन मुआवजा और निदेशकों की फीस भी शामिल होती है। पीसीए फ्रेमवर्क में शामिल होने पर बैंकों पर कुछ खास तरह के प्रतिबंध लगाए जाते हैं। इसमें डिविडेंड वितरण, शाखाओं का विस्तार, प्रबंधन का विस्तार जैसी चीजें शामिल हैं। आपको बता दें कि आरबीआई ने पिछले साल बैंकों के लिए संशोधित पीसीए फ्रेमवर्क जारी किया था, ताकि वे सही समय पर निगरानी कर दखल दें। संशोधित पीसीए फ्रेमवर्क में कैपिटल, एसेट क्वालिटी भी निगरानी सूची में शामिल हैं।
(शेयर मंथन 22 अगस्त, 2022)
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