अंतरराष्ट्रीय बाजारों के रुझान पर कच्चे तेल की कीमतों में नरमी का रुझान रहने की संभावना है।
शुक्रवार को समाप्त हुए कारोबारी सप्ताह में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आयी।
अमेरिका की तरफ से आपूर्ति बढ़ने से गुरुवार को तेल की कीमतों में 1% की गिरावट आते हुए देखी गयी।
कच्चे तेल की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ सीमित दायरे में रहने की संभावना है।
कच्चे तेल के शीर्ष निर्यातक सऊदी अरब ने कहा कि वह कच्चे तेल के निर्यात को घटाएगा और उत्पादन में भारी कटौती भी करेगा।
कच्चे तेल की कीमतें 3,660-3,730 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं।
कच्चे तेल की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ सीमित कारोबार करने की संभावना हैं और कीमतों को 3,870 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 3,780 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतों में शुक्रवार को तेजी देखी गयी, जिसमें पिछले सत्र में गिरावट देखी गयी थी।
गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में 9 पैसे की मजबूती आते हुए देखी गयी।
सुरेंद्र कुमार गोयलनिदेशक, बोनांजा पोर्टफोलिओभारतीय बाजार के लिए चिंता के मुख्य बिंदु कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, रुपये की कमजोरी, फेडरल दरों में वृद्धि की आशंका आदि हैं।
कच्चे तेल की कीमतों 3,650-3,750 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है।
अस्थिर मुद्रा और शेयर बाजारों के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गुरुवार को गिरावट देखी गयी।
कच्चे तेल की कीमतें में तेजी का रुझान रह सकता है और कीमतें 3,650-3,780 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल की अगुआई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार को रेपो रेट को अपरिवर्तित बनाये रखने का फैसला किया।
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संवत 2081 में पूरे साल बाजार थका रहा, पर बीतते-बीतते यह संवत एक नया जोश देते हुए जा रहा है। अभी हाल तक बाजार में सभी यह चर्चा कर रहे थे कि पिछली दीपावली से इस दीपावली तक तो बाजार में नुकसान ही है, या पैसे नहीं बने।
आम लोग खुश हैं कि जीएसटी कम होने से चीजें सस्ती होंगी। महँगाई दर घटने वाला सस्तापन नहीं, असल में आपको पहले से कम पैसे खर्च करके सामान मिलेंगे। और सस्ता होने वाले सामानों की सूची बहुत लंबी है, अमीर-गरीब सबको फायदा मिलने जा रहा है।