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सरकार ने सत्यम बोर्ड को भंग किया

सरकार ने सत्यम कंप्यूटर के मौजूदा निदेशक बोर्ड को भंग करने का फैसला किया है। कंपनी मामलों के मंत्री प्रेमचंद गुप्ता ने ऐलान किया है कि खुद सरकार सत्यम के बोर्ड में 10 सदस्यों को मनोनीत करेगी। बोर्ड के इन नये सदस्यों की बैठक अगले 7 दिनों के भीतर होगी। 

प्रेमचंद गुप्ता के मुताबिक शुक्रवार की रात को ही सरकार सत्यम के बोर्ड में मनोनीत किये जाने वाले 10 व्यक्तियों के नामों का ऐलान कर दिया जायेगा। इसके साथ ही कंपनी के मौजूदा निदेशकों को अब कंपनी का कोई भी कामकाज करने से रोक दिया गया है। प्रेमचंद गुप्ता ने इस फैसले की जानकारी देते हुए यह कहा कि सत्यम का बोर्ड अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा है। इससे पहले सत्यम ने शनिवार 10 जनवरी को अपने बोर्ड की बैठक बुलायी थी, लेकिन अब यह बैठक नहीं होगी।

इस फैसले के साथ ही सरकार ने एक तरह से सत्यम का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है। हालाँकि प्रेमचंद गुप्ता ने यह स्पष्ट किया है कि सरकार कंपनी का अधिग्रहण नहीं करने जा रही है। लेकिन कंपनी के नये प्रबंधन के बारे में अब सरकार की ओर से मनोनीत नया बोर्ड ही कोई फैसला लेगा। प्रेमचंद गुप्ता के मुताबिक सत्यम की 8 सहायक कंपनियों की भी जाँच शुरू की जा चुकी है। वहीं इस पूरे मामले के आपराधिक पहलुओं की जाँच आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से की जा रही है।

हालाँकि मौजूदा बोर्ड भंग कर नये सदस्यों को नामांकित करने के इस फैसले से कई जानकार ज्यादा उत्साहित नहीं हैं। निवेश सलाहकार गुल टेकचंदानी का कहना है कि यह फैसला अच्छा तो है, लेकिन केवल इतने से कोई फायदा नहीं होगा। उनके मुताबिक यह केवल एक तात्कालिक उपाय है। कंपनी का कामकाज ठीक से चल सके, इसके लिए कंपनी के पास पैसे ही नहीं हैं। इसलिए जब तक इसे कहीं से पैसों की मदद नहीं मिलती, तब तक इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सकता। लेकिन गुल टेकचंदानी का यह भी कहना है कि अगर सरकार ने सत्यम को वित्तीय मदद दी, तो इससे काफी खराब मिसाल बनेगी। उनके मुताबिक अगर सरकार सत्यम की इक्विटी लेकर इसे एक सरकारी कंपनी की तरह चलाने का फैसला करे, तो वह एक अच्छी स्थिति हो सकती है। लेकिन अगर कंपनी को इसके बिना ही कोई वित्तीय मदद मुहैया करायी जाती है, तो इससे काफी गलत संदेश जायेगा।

लेकिन साथ ही गुल टेकचंदानी इस बात को लेकर भी सावधान करते हैं कि कंपनी के खिलाफ कितनी देनदारियाँ बनने वाली हैं, इसका कोई अंदाजा लगाना अभी संभव नहीं है। इसलिए अगर सरकार सत्यम की इक्विटी अपने हाथ में लेने का फैसला करती है, तो उसे साथ ही इस बात का भी इंतजाम करना होगा कि वह तमाम कानूनी मामलों से बनने वाली देनदारियों से बचने का रास्ता साफ कर ले। लेकिन ऐसे मामलों के लिए जिस तरह अमेरिका में चैप्टर 11 का नियम है, वैसा कोई कानून भारत में नहीं है।

गुल टेकचंदानी की राय है कि रामलिंग राजू को तुरंत गिरफ्तार करके उसकी सारी संपत्ति जब्त की जानी चाहिए, जिससे शेयरधारकों को कुछ तो वापस मिल सके।

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