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10 साल तक जियो से फीस लेना भूली रही बीएसएनएल, सीएजी की रिपोर्ट से खुला करोड़ों के नुकसान का मामला

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल की एक चूक से सरकार को करोड़ों रुपये का घाटा होने का खुलासा हुआ है। दरअसल, बीएसएनएल ने रिलायंस जियो के साथ एक परियोजना में टावर साझा किया था, मगर वो इसका शुल्क वसूलना भूल गयी। 

क्या है पूरा मामला?

सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि बीएसएनएल ने रिलायंस जियो के साथ टेलीकॉम इंफ्रा प्रोजेक्ट के तहत टावर साझा करने का करार किया। टावर को जियो के साथ साझा भी किया लेकिन बीएसएनएल उसकी फीस लेना भूल गई। न बीएसएनएल ने फीस माँगी और न जियो ने फीस दी। ये सब कुछ एक-दो साल नहीं बल्कि पूरे 10 साल से चल रहा है। सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि बीएसएनएल ने मई 2014 से जियो से कोई शुल्क नहीं लिया जिससे सरकार को 1757.56 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

मामले पर क्या बोला सीएजी?
सीएजी ने कहा कि बीएसएनएल टेलीकॉम इंफ्रा प्रोजेक्ट प्रोवाइडर्स को दिए जाने वाले आय में से लाइसेंस फीस भी नहीं काट पाई है। इससे कंपनी को भी 38.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बीएसएनएल मेसर्स रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड के साथ मास्टर सर्विस एग्रीमेंट को लागू करने में भी कामयाब नहीं हो पायी। साथ ही टावर शेयरिंग के लिए बिल भी नहीं दिया। बीएसएनएल की इस भूल से सरकार को 29 करोड़ रुपये जीएसटी का भी नुक़सान हुआ है। इन सब के कारण सरकार को मई 2014 से लेकर मार्च 2024 तक 1757.76 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ये वो रकम है जो सरकारी खजाने में जानी चाहिए थी लेकिन जा नहीं पायी। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि बीएसएनएल ने इंफ्रा शेयरिंग चार्ज का बिल भी कम बनाया। 

 

टेलीकॉम का सबसे बड़ा खिलाड़ी जियो

मुकेश अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस जियो देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) के दिसंबर के आँकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2024 तक कंपनी के देश में 46.51 करोड़ यूजर हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर भारती एयरटेल के 38.53 करोड़, तीसरे नंबर पर वोडाफोन आइडिया के 20.72 करोड़ और BSNL के 9.17 करोड़ यूजर के साथ चौथे नंबर पर आती है।

देश में सैटेलाइट से इंटरनेट देने के लिए जियो ने एलन मस्क की कंपनी स्टार लिंक के साथ भी पिछले महीने करार किया है, जिसे लागू करने के लिए सरकार की मंजूरी का इंतजार है। स्टार लिंक 100 से ज्यादा देशों में सैटेलाइट के जरिये इंटरनेट देती है। कंपनी के पास धरती की निचली कक्षा में 7 हजार से ज्यादा सैटेलाइट का सबसे बड़ा नेटवर्क है।

(शेयर मंथन, 03 अप्रैल 2025)

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