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एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स

जुलाई 2023 बाजार सर्वेक्षण

  • 2024 से घटनी शुरू होंगी ब्याज दरें

    ऑनाली रूपानी

    निदेशक, एआरएम रिसर्च

    भारतीय बाजार के लिए जहाँ ऊर्जा क्षेत्र और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना सबसे बड़े सकारात्‍मक कारक हैं, वहीं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के कमजोर होने से चिंता हो रही है। मुद्रा (करेंसी) संकट और संप्रभु भुगतान में चूक (सोवरेन डिफॉल्ट) अगले छह महीने में बाजार को प्रभावित करने वाले बड़े वैश्विक कारक बन सकते हैं।

  • 2025 तक तेज रहेगी भारतीय बाजार की चाल

    जगदीश वी. ठक्‍कर

    निदेशक, फॉर्च्‍यून फि‍स्‍कल

    भारतीय बाजार की चाल 2025 तक ज्यादा तेज बनी रहेगी और उसके बाद यह विश्व का नेतृत्व करेगा। रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह, अनुकूल मानसून, कंपनियों के नतीजे और एफआईआई का निवेश प्रवाह भारतीय बाजार के लिए प्रमुख सकारात्मक बातें हैं। लेकिन यदि रूस-यूक्रेन युद्ध खराब मोड़ लेने लगे, भारत-चीन या भारत-पाक सीमा पर तनाव बढ़े या राजनीतिक असंतुलन पैदा हो तो यह बाजार के लिए नकारात्मक होगा।

  • अगले 10-15 साल तक जबरस्त विकास

    बृजेश आइल
    टेक्निकल एवं डेरिवेटिव प्रमुख, आईडीबीआई केपिटल मार्केट्स
    पिछले वर्ष हमारे बाजार का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है और हमारे पास अगले 10-15 साल तक जबरस्त वृद्धि का अवसर है। रिजर्व बैंक का नजरिया सख्त से नरम होने और ब्याज दरों में कमी आने पर बाजार को काफी अच्छे संकेत मिलेंगे। वहीं महँगाई और वैश्विक मंदी ही सबसे बड़ी चिंताओं में शामिल है।

  • अगले 7-9 साल तक बड़ी तेजी का दौर

    सुनील मिंगलानी

    एमडी, स्किलट्रैक कंसल्‍टेंसी

    मैं पहले भी आपसे कह चुका हूँ कि भारत समेत कई उभरते (इमर्जिंग) बाजार एक नयी बड़ी तेजी (बुल फेज) में प्रवेश कर चुके हैं, जो आने वाले 7-9 साल तक चलने की संभावना है। इस दौरान अमेरिकी बाजारों में एक बड़ी मंदी की शुरुआत भी हम देख सकते हैं, जो डॉलर में कमजोरी और अन्य वजहों से आ सकती है।

  • अभी दरें स्थिर रखेगा रिजर्व बैंक

    सोनम हेमराज उदासी

    सीनियर फंड मैनेजर, टाटा एएमसी

    भारतीय बाजार को लेकर हमारा नजरिया सकारात्मक है और लगता है कि सेंसेक्स 2028 तक एक लाख पर पहुँच सकता है। फिलहाल अगले छह महीनों में बाजार के लिए चुनाव सबसे अहम कारक है और राज्यों के विधान सभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण रहेंगे। पर फिलहाल लगता है कि इससे बाजार की दिशा पर कोई असर नहीं होगा।

  • आम चुनाव को लेकर रहें बहुत सतर्क

    पंकज जैन

    निदेशक, एसडब्‍लू कैपिटल

    बाजार मजबूती के साथ तेजी की चाल दिखा रहा है, पर 2024 में लोक सभा चुनाव को लेकर बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। राज्यों के आगामी विधान सभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण रहेंगे और इनका बाजार की दिशा पर नकारात्मक असर हो सकता है। अगले छह महीनों में यही मुद्दा बाजार को सबसे अधिक प्रभावित कर सकता है। वैश्विक कारकों में यूक्रेन युद्ध सबसे महत्वपूर्ण रहेगा।

  • इक्विटी ही सबसे अच्छा संपत्ति वर्ग

    शोमेश कुमार

    निवेश सलाहकार

    निवेशकों के लिए इक्विटी सबसे अच्छा संपत्ति वर्ग (एसेट क्लास) है। अंतरराष्ट्रीय संबंध सुधर रहे हैं और इसके चलते व्यापारिक संभावनाओं और भारतीय अर्थव्यवस्था में भी सुधार हो रहा है। पर भूराजनीति (जियोपॉलिटिक्स) के चलते अनिश्चितताएँ रहेंगी। अगले छह महीने में भूराजनीति ही भारतीय बाजार को प्रभावित करने वाला मुख्य कारक होगा। घरेलू मोर्चे पर इस दौरान कंपनियों के तिमाही नतीजे सबसे ज्‍यादा प्रभावित करेंगे।

  • एक साल में 22,500 तक जा सकता है निफ्टी

    सुरेंद्र कुमार गोयल

    निदेशक, बोनांजा पोर्टफोलिओ

    इस समय निफ्टी विश्व के अधिकांश बाजारों से तेज चल रहा है। महँगाई नियंत्रण में है, वहीं ब्याज दरें ऊँची हैं। कच्चे तेल के भाव अच्छे दायरे में हैं। हमारी तेज चाल बनी रह सकती है और निफ्टी मध्यम से लंबी अवधि में पहले 20,000, फिर 21,000 और 22,500 के लक्ष्यों को छू सकता है। गिरावटों में 18,500 और 18,000/17,500 प्रमुख समर्थन स्तर होंगे। कारोबारी और निवेशक अच्छे शेयरों में निवेश करें और जोखिम प्रबंधन पर ध्यान दें।

  • एक साल में 77,000 पर होगा सेंसेक्स

    योगेश मेहता

    संस्‍थापक, यील्‍ड मैक्सिमाइजर्स

    बाजार का परिदृश्य सकारात्मक है। मूल्यांकन उचित स्तरों पर है और आर्थिक वृद्धि स्थिर है। पूँजीगत व्यय (कैपेक्स), कच्‍चे तेल में नरमी, नियंत्रित महँगाई और ब्‍याज दरें भारतीय बाजार के लिए सकारात्‍मक पहलुओं में हैं। लेकिन यदि कोई वैश्विक अनिश्चितता बने या कंपनियों की आय (अर्निंग) को कोई झटका लगे तो बाजार पर नकारात्‍मक असर पड़ सकता है।

  • एक साल में सात फीसदी की दर से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

    संदीप सभरवाल

    आस्‍कसंदीपसभरवाल.कॉम

    मेरा अनुमान है कि अगले छह महीने में सेंसेक्स 71,000 और निफ्टी 20,000 के स्‍तर के आस-पास होंगे। 12 महीने की अवधि में सेंसेक्स का लक्ष्य 73,909 और निफ्टी का लक्ष्य 20,500 का बन रहा है। भारत की जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त-वर्ष और अगले वित्त-वर्ष 2024-25 में 7% रह सकती है।

  • एक साल में सेंसेक्स जायेगा 81000 पर

    प्रकाश दीवान

    सदस्‍य, सलाहकार बोर्ड, विवरो फाइनेंशियल सर्विसेज

    वैश्विक मंच पर भारत का भाग्य बदलने की आशा में बाजार अपनी हद से आगे भाग गया है। पर ठहराव के एक दौर के बाद यह फिर से तेज चाल जारी रख सकता है। अगले छह महीने में सेंसेक्स 70,400 के आस-पास और निफ्टी 20,900 की ओर जा सकता है। एक साल में सेंसेक्स 81,000 का स्‍तर छू सकता है और निफ्टी 24,400 तक जा सकता है।

  • कंपनियों की आय, जीडीपी सकारात्मक

    पंकज पांडेय

    रिटेल रिसर्च प्रमुख, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज

    कंपनियों की आय (कॉर्पोरेट अर्निंग), जीडीपी वृद्धि और जीएसटी एवं नरम महँगाई दर जैसे आर्थिक संकेतक बाजार के लिए सकारात्मक हैं। पर वैश्विक मंदी की चिंताओं और भूराजनीतिक (जियोपॉलिटिकल) हालात का भारतीय बाजार पर नकारात्मक असर हो सकता है।

  • कंपनियों के नतीजे डालेंगे सबसे ज्यादा असर

    अनिल मंगनानी

    निदेशक, मॉडर्न शेयर्स ऐंड स्टॉक ब्रोकर्स

    निवेशकों के लिए मेरा सुझाव है कि वे नीचे के स्‍तरों पर अच्‍छे शेयरों में खरीदारी करें और अगले दो से तीन साल के लिए उनमें बने रहें। मुझे अगले छह महीने में सेंसेक्स 70,000 पर और निफ्टी 20,400 के आस-पास दिखते हैं, जबकि अगले 12 महीने में सेंसेक्स 75,000 और निफ्टी 21,500 के स्‍तर पर दिखाई देते हैं।

  • कुछ तिमाहियों तक ब्‍याज दरें रहेंगी स्थिर

    विजय चोपड़ा

    एमडी-सीईओ, इनॉच इंटरमीडियरीज

    सकारात्मक बातों में एफआईआई खरीदारी, महँगाई दर में कमी, ब्याज दरों के घटने की संभावना, कच्चे तेल की नीची कीमतें, कंपनियों की आय (अर्निंग) अच्छी रहना, अच्छा कर संग्रह और घरेलू खपत को गिना जा सकता है।

  • ग्रोथ शेयरों में करें निवेश

    विजय भूषण

    पार्टनर, भारत भूषण ऐंड कंपनी

    बाजार में तेजी का ही नजरिया है और निवेशकों को ग्रोथ शेयरों (तेज वृद्धि वाली कंपनियों) में निवेश करना चाहिए। साथ ही अमेर‍िकी फेडरल रिजर्व और भारतीय रिजर्व बैंक की ब्‍याज दरों की स्थिति पर नजर रखनी चाहिए। विदेशी निवेश बढ़ने और साथ ही घरेलू निवेश में इजाफा होने, सरकार का बुनियादी विकास पर जोर रहने और कंपनियों की कमाई बढ़ने से भारतीय बाजार पर सकारात्‍मक असर होगा।

  • चिंता बढ़ायेंगे भूराजनीतिक हालात

    दीन दयाल शर्मा

    सीएमडी, रिस्क कैपिटल एडवाइजरी

    'चीन प्लस" के चलते भारी पूँजीगत व्यय (कैपेक्स) की योजनाएँ बनना बाजार के लिए काफी सकारात्मक है। चालू वित्‍त-वर्ष में देश की जीडीपी 7% पर रह सकती है और 2024-25 में इसके 7.5% पर पहुँचने का अनुमान है। पर भारतीय बाजार के लिए वैश्विक भूराजनीतिक हालात चिंता का सबब बन सकते हैं।

  • चीन का मजबूत विकल्‍प बन रहा भारत

    राजेश अग्रवाल

    रिसर्च प्रमुख, एयूएम कैपिटल मार्केट

    भारत का परिदृश्य आज जितना उज्ज्वल है, उतना पहले कभी नहीं था। आरबीआई के निरंतर प्रयासों के कारण महँगाई में गिरावट के उल्लेखनीय संकेत मिले हैं। भारत चीन के एक मजबूत विकल्प के रूप में उभर रहा है। यह एक ऐसा कारक है जो विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) और निर्यात को काफी बढ़ायेगा। न सिर्फ घरेलू, बल्कि विदेशी बड़ी कंपनियों ने भी भारत में बड़े निवेश की घोषणाएँ की हैं।

  • चुनाव और वैश्विक चिंताओं का डर

    आशीष कपूर

    सीईओ, इन्वेस्ट शॉपे

    बाजार के लिए प्रति मेरा नजरिया तेजी वाला है। एक साल में सेंसेक्‍स 75,000 का स्‍तर छू सकता है, और निफ्टी 22,000 तक जा सकता है। संभावना लगती है कि सेंसेक्स 2025 तक ही एक लाख पर होगा। भारतीय बाजार के लिए विकास दर, आय वृद्धि की स्पष्टता (इन्कम विजिबिलिटी), मजबूत अर्थव्यवस्था और नकदी की उपलब्धता या तरलता (लिक्विडिटी) बड़े सकारात्मक पहलू हैं।

  • चुनाव बहुत महत्वपूर्ण रहेंगे बाजार के लिए

    विनय गुप्‍ता

    निदेशक, ट्रस्‍टलाइन सिक्योरिटीज

    भारतीय बाजार को लेकर हमारा नजरिया अगले एक साल के लिए सकारात्‍मक बना हुआ है। पर इस दौरान बाजार के लिए देश में होने वाले चुनाव बहुत महत्वपूर्ण रहेंगे। राज्यों के आगामी विधान सभा चुनावों पर खास नजर रहेगी। इनका बाजार की दिशा पर हल्का सकारात्मक असर हो सकता है। अगले छह महीनों में वैश्विक कारकों को देखें तो अमेरिका में ब्‍याज दरों की स्थिति‍ भारतीय बाजार पर महत्वपूर्ण असर डाल सकती है।

  • चुनावी माहौल का असर होगा बाजार पर

    अनुज गुप्ता

    वीपी (रिसर्च), आईआईएफएल सिक्योरिटीज

    बाजार इस समय तेजी के दौर में है। हालाँकि अगले छह महीने में भारतीय बाजार के लिए देश का चुनावी माहौल सबसे बड़ा मुद्दा होगा। राज्यों के जो विधान सभा चुनाव होने हैं, वे बहुत महत्वपूर्ण रहेंगे और मेरा अनुमान है कि इनका बड़ा सकारात्मक असर होने वाला है।

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