रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत के विकास दर के अनुमान में कमी कर दी है।
अक्टूबर 2022 में खुदरा महँगाई घट कर तीन महीने के निचले स्तर पर 6.77% रही है। वहीं थोक महँगाई लगातार 18 महीनों तक दो अंकों में रहने के बाद अक्टूबर में घट कर 8.39% पर आयी है।
जीडीपी के आँकड़ों को लेकर भारतीय शेयर में जिस तरह की हिचक थी, वो अब नहीं रही है। महँगाई का मसला भी अब सिमटने लगा है। अब यहाँ से बाजार की चाल इस बात से तय होगी कि अर्थव्यवस्था की चाल कैसी रहती है।
क्रिसिल (CRISIL) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) के अनुमान में 20 आधार अंकों की कटौती की है।
जीडीपी वृद्धि के ताजा आँकड़ों के आने के बाद रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 2019-20 की सालाना विकास दर के लिए अपने अनुमानों में तीखी कटौती कर दी है।
मूडीज (Moody's) और क्रिसिल (CRISIL) के बाद अब इंडिया रेटिंग्स (India Ratings) ने भी भारत की अनुमानित विकास दर में कटौती कर दी है।
फर्स्ट ग्लोबल के संस्थापक और वाइस-चेयरमैन शंकर शर्मा लगभग हमेशा भारतीय शेयर बाजार को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के नये "फिक्की विनिर्माण सर्वेक्षण" में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2019) में 6.0% जीडीपी विकास दर रहने का अनुमान लगाया गया है।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी विकास दर (GDP growth rate) के अपने अनुमान में और कटौती कर दी है।
वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2017 के दौरान देश की आर्थिक विकास दर (growth rate) अनुमानों के मुकाबले काफी नीची रही है।
चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) लगभग एक चौथाई घट गया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की चाल फिर से कुछ धीमी पड़ी है। मुख्य रूप से कृषि, निर्माण (कंस्ट्रक्शन) और खनन (माइनिंग) गतिविधियों में कमी दर्ज किये जाने के कारण विकास दर अपेक्षाकृत धीमी पड़ी है।
वैभव अग्रवालरिसर्च प्रमुख, एंजेल ब्रोकिंगआज जीडीपी (GDP) के जो आँकड़े सामने आये हैं, वे साफ तौर पर विमुद्रीकरण या नोटबंदी (demonetisation) के असर को दर्शाते हैं।
2020-21 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में करीब 24% की गिरावट दर्ज होने के बाद यह सवाल सबसे अहम है कि आगे अर्थव्यवस्था को सँभालने के लिए किस तरह के कदम उठाये जाने जरूरी हैं।
वित्तीय वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही यानि जनवरी-मार्च तिमाही में कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों में खराब प्रदर्शन के कारण देश के जीडीपी विकास (GDP growth) की दर 5.8% रही है।
जून महीने में जीएसटी संग्रह (GST Collection) घट कर 1 लाख करोड़ रुपये के नीचे चले जाने के बाद जुलाई महीने में इसमें फिर से सुधार हुआ है और यह 1 लाख करोड़ रुपये के ऊपर लौट आया है।
तिमाही दर तिमाही आधार पर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की विकास दर में गिरावट आयी है।
देश की अर्थव्यवस्था ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है। मौजूदा कारोबारी साल की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि की दर 6.3% रही है।
बुनियादी ढाँचा वाले आठ प्रमुख क्षेत्रों (core sector) ने जून 2021 के महीने में पिछले वर्ष जून के निचले आधार (low base) पर अच्छी वृद्धि दिखायी है।
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