सर्राफा की कीमतों में अस्थिरता रह सकती है। विश्व स्तर पर जोखिम की भावना के साथ अमेरिकी सीपीआई के आँकड़ों और डॉलर के कारोबार से कीमतों को दिशा मिल सकती है।
सर्राफा की कीमतों के सीमित दायरे में रहने की संभावना है।
सर्राफा की कीमतों में नरमी का रुझान रहने की संभावना है। सोने की कीमतों को 45,300 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 44,600 रुपये पर सहारा रह सकता है जबकि चांदी (मई) की कीमतों में 67,780 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 66,900 रुपये पर सहारा रह सकता है।
सर्राफा में खरीदारी होने की संभावना है। सोने की कीमतों को 47,700 रुपये पर सहारा और 48,100 रुपये पर बाधा रह सकता है।
सर्राफा में सीमित दायरे में कारोबार होने की संभावना है।
सर्राफा की कीमतों में नरमी का रुझान रहने की संभावना है। सोने की कीमतों को 44,900 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 44,300 रुपये पर सहारा रह सकता है जबकि चांदी (मई) की कीमतों में 65,200 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 64,300 रुपये पर सहारा रह सकता है।
10-वर्षीय यू.एस ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी, जिससे ब्याज रहित सोना रखने की अवसर लागत अधिक हो जाती है।
सर्राफा की कीमतों में नरमी का रुझान रहने की संभावना है। सोने की कीमतों को 45,800 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 45,200 रुपये पर सहारा रह सकता है जबकि चांदी (मई) की कीमतों में काफी अधिक उठापटक हो सकती है और कीमतों में 69,560 रुपये के स्तर पर रुकावट के साथ 68,700 रुपये पर सहारा रह सकता है।
सर्राफा की कीमतों में नरमी का रुझान रहने की संभावना है। सोने की कीमतों को 43,800 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 43,100 रुपये पर सहारा रह सकता है जबकि चांदी (मई) की कीमतों में 64,600 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ 63,200 रुपये पर सहारा रह सकता है।
सर्राफा की कीमतों में शॉर्ट कवरिंग हो सकती है लेकिन कुल मिलाकर नरमी का रुझान है।
सर्राफा में खरीदारी होने की संभावना है। सोने की कीमतों को 52,400 रुपये पर सहारा और 53,500 रुपये पर बाधा रह सकता है।
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आम लोग खुश हैं कि जीएसटी कम होने से चीजें सस्ती होंगी। महँगाई दर घटने वाला सस्तापन नहीं, असल में आपको पहले से कम पैसे खर्च करके सामान मिलेंगे। और सस्ता होने वाले सामानों की सूची बहुत लंबी है, अमीर-गरीब सबको फायदा मिलने जा रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने में अब तक नाकाम रहने से झुँझलाये अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत पर अपने टैरिफ की तलवार घुमा दी है। वहीं भारत ने स्पष्ट कर रखा है कि वह अपनी संप्रभुता और आर्थिक हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देगा और किसी के दबाव में नहीं आयेगा।