प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में सरकारी तेल कंपनियों को राहत देने के फैसले को मंजूरी दी गई है। इसके तहत पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी है।
इसके तहत तीनों सरकारी तेल कंपनियों को एकबार के लिए 22000 करोड़ रुपये के अनुदान को मंजूरी दी है। यह रकम तीनों सरकारी तेल कंपनियों में बांटी जाएगी। इसमें इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी बीपीसीएल (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी एचपीसीएल (HPCL) शामिल है।
कैबिनेट के इस फैसले के बाद सरकारी तेल कंपनियां अपने आत्मनिर्भर भारत अभियान के वादे को जारी रखेंगी। इसके तहत ग्राहकों को बिना किसी बाधा के घरेलू एलपीजी (LPG) की आपूर्ति जारी रहेगी। साथ ही तीनों सरकारी तेल कंपनियां भारत में बने उत्पादों को खरीदने की प्रक्रिया में मदद करेंगी। सरकारी तेल कंपनियां जैसे आईओसीएल (IOCL), बीपीसीएल (BPCL) और एचपीसीएल (HPCL) घरेलू एलपीजी सिलेंडर को ग्राहकों को नियंत्रित कीमत पर आपूर्ति करती हैं।
जून 2020 से जून 2022 के दौरान एलपीजी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों में 300 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखने को मिली थी। हालाकि कंपनियों ने घरेलू एलपीजी के ग्राहकों को बढ़ी हुई कीमतों के असर से बचाने के लिए पूरी कीमत हस्तांतरित नहीं की थी। इस दौरान घरेलू एलपीजी की कीमतों में केवल 72 फीसदी की ही बढ़ोतरी की थी। इस कारण से सरकारी तेल कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। सरकारी तेल कंपनियों ने घाटे के बावजूद घरेलू एलपीजी की आपूर्ति जारी रखी है। इसी नुकसान की भरपाई के लिए कैबिनेट ने 22000 करोड़ रुपये के एकबार मुआवजा देने को मंजूरी दी है। 22000 करोड़ रुपये की इस रकम में से आईओसीएल को 13000 करोड़ रुपये, बीपीसीएल को 4500 करोड़ रुपये और बाकी के 4500 करोड़ रुपये एचपीसीएल को दिए जाएंगे। इस खबर के बाद आईओसीएल का शेयर एनएसई (NSE) पर 2.05% और बीपीसीएल का शेयर 0.97% चढ़ कर बंद हुआ।
(शेयर मंथन, 12 अक्टूबर 2022)
Add comment