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अमेरिकी शेयर बाजार की देखा-देखी चलना खतरे से खाली नहीं

राजीव रंजन झा : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कल वही किया, जिसकी मुझे आशंका थी। 
बाजार की उम्मीदों को धता बताते हुए रेपो दर, रिवर्स रेपो दर और सीआरआर को कल एकदम नहीं छेड़ा। मैंने शुक्रवार 14 जून की सुबह ही लिखा था कि “17 जून को आरबीआई अपनी ब्याज दरों में कमी करेगा, इसकी उम्मीद जरा कम ही लगती है।” लेकिन उस दिन जब थोक महँगाई दर (WPI) में कमी की खबर आयी तो बाजार जोश में आ गया। हालाँकि मैंने कल सुबह लिखा था कि “शुक्रवार को जिस तरह से उछाल आयी, उससे लगता है कि महँगाई दर घटने की खबर के बाद बाजार ने आरबीआई से काफी उम्मीदें लगा ली हैं। लेकिन इसी बात में एक खतरा भी है। अगर कहीं आरबीआई ने निराश कर दिया तो बाजार जोर से पलटा भी खा सकता है।”
अब आरबीआई की इस समीक्षा बैठक में जो खरी-खरी बातें कही गयी हैं, उन्हें देख कर बाजार ने मान लिया है कि निकट भविष्य में वह ब्याज दरों में कुछ खास कटौती होने की उम्मीद नहीं रख सकता। एंजेल ब्रोकिंग ने कल अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2013-14 में अब आगे 0.50% अंक तक की कटौती की ही उम्मीद करनी चाहिए। इसका मतलब यही निकलता है कि हर छह हफ्ते बाद ब्याज दरों में कटौती का कोरस गाने का कोई फायदा नहीं। अभी यह वित्त वर्ष पूरा होने में साढ़े नौ महीने बाकी हैं। इस दौरान छह बार आरबीआई की समीक्षा बैठकें होंगी। इन छह बैठकों में से आरबीआई आपको ज्यादा-से-ज्यादा दो ही बार खुश कर सकता है। अगर इससे ज्यादा कुछ हासिल हो जाये, तो उसे सकारात्मक आश्चर्य की बात समझेंगे।
खैर, गनीमत यही रही कि आरबीआई से मिली निराशा में बाजार एक सीमा से ज्यादा नहीं टूटा और यूरोपीय बाजारों की तेजी ने इसे निचले स्तर से उबरने में अच्छी मदद की। सेंसेक्स (Sensex) 19085 तक फिसल गया था, लेकिन यह सँभल कर 19344 तक चढ़ा। इस तरह कल निचले स्तर से इसने 259 अंक की उछाल दर्ज की और अंत में 148 अंक यानी पौने एक फीसदी ऊपर बंद हुआ। इसी तरह निफ्टी भी 5770 तक गिरने के बाद 5855 तक सँभला और इसने निचले स्तर से 85 अंक की वापसी की।
दरअसल इस हफ्ते मंगलवार और बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक होने वाली है। अमेरिकी बाजार में कारोबारी उम्मीद लगा रहे हैं कि इस बैठक में क्वांटिटेटिव ईजिंग के तीसरे चरण (क्यूई 3) के नाम से प्रसिद्ध बांड खरीदारी कार्यक्रम को जारी रखने के बारे में सकारात्मक संकेत दे सकता है।
हालाँकि अमेरिकी बाजार की धारणा को लेकर यहाँ भारतीय बाजार में कारोबारी रणनीति बनाना जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि वहाँ एक ही मसले पर बाजार की धारणा पल में तोला पल में माशा होती रहती है। यह भी याद रखना चाहिए कि 22 मई को ही फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बर्नांके ने क्यूई की रफ्तार एफओएमसी की अगली कुछ बैठकों में धीमी करने की बात स्पष्ट रूप से कही थी। अगर फेडरल रिजर्व ने अपनी इस हफ्ते की बैठक में ऐसा फैसला नहीं भी किया, तो यह फैसला अगली किसी बैठक में होगा। जब भी यह फैसला होगा, तब दुनिया भर के बाजारों को एक झटका तो लगेगा ही।
तकनीकी नजरिये से देखें तो बीते शुक्रवार की सुबह ही मैंने लिखा था कि निफ्टी की “यह वापस उछाल इसके आगे जाने पर 5477-6229 की 50% वापसी के स्तर 5853 पर नजर रखी जा सकती है।” कल निफ्टी का ऊपरी स्तर एकदम इसी लक्ष्य के पास 5855 का रहा। सेंसेक्स के लिए भी मैंने कल सुबह लिखा था कि 19711-18766 की ताजा गिरावट की 50% वापसी के स्तर 19238 को पार करने पर 19350 और 19522 के अगले लक्ष्य बनेंगे। सेंसेक्स ने कल 19350 के लक्ष्य को लगभग छू लिया और 19,344 तक चढ़ा। इसके आगे मेरा मानना है कि निफ्टी 5853 पार होने के बाद करीब 5900-5950 स्तरों तक की उम्मीद रखी जा सकती है।
निफ्टी 31 मई के बाद कल पहली बार 10 दिनों के सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) के ऊपर लौटा। साथ ही यह लगातार दूसरे दिन 200 एसएमए के ऊपर बंद हुआ। ये दोनों बातें बाजार के लिए सकारात्मक हैं। लेकिन अभी 5900 से ठीक पहले 100 एसएमए 5879 पर और 50 एसएमए 5892 पर बाधा के रूप में मौजूद है। साथ ही 6229 से 5683 तक की ताजा गिरावट की 38.2% वापसी भी 5892 पर ही है। इसलिए 5900 से पहले कई बाधाएँ इकट्ठा हो रही हैं।
अगर यह 5900 के ऊपर निकला भी तो अभी 20 एसएमए 5947 पर है। वहीं 6229-5683 की 50% वापसी 5956 पर है। इसके अलावा 5477 से 6229 तक की जो उछाल दर्ज की गयी थी, उसकी 38.2% वापसी 5942 पर है। इसलिए मोटे तौर पर 5950 के आसपास भी एक बड़ी बाधा बनती है। इसके आगे आपको पता ही है कि 5970-6000 के दायरे में काफी महत्वपूर्ण बाधा क्षेत्र है और मैं महीनों से कहता रहा हूँ कि निफ्टी के लिए इस दायरे के ऊपर टिक पाना अभी बड़ा मुश्किल है। हाल में शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव ने इसी धारणा को पुख्ता किया है। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 18 जून 2013)

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