
निवेश की दुनिया में भावनायें अक्सर फैसलों पर हावी हो जाती हैं। बाजार में जब भी गिरावट आती है या किसी फंड का प्रदर्शन थोड़े समय के लिए कमजोर हो जाता है, तो कई निवेशक घबरा जाते हैं और अपने फंड्स को तुरंत बदलने का फैसला कर लेते हैं। हालाँकि, यह हमेशा सही रणनीति नहीं होती।
अगर आप भी बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होकर फंड बदलने की सोच रखते हैं, तो रुक जाइये और पहले सोचिये कि यह बदलाव क्या वाकई जरूरी है?
ए) बाजार की चाल अस्थायी होती है, रणनीति नहीं
बाजार का उतार-चढ़ाव स्थायी नहीं होता। कई बार ऐसा होता है कि कोई फंड छोटी अवधि में कमजोर प्रदर्शन करता है, लेकिन उसकी लंबी अवधि की रणनीति मजबूत होती है। ऐसे में केवल अस्थायी गिरावट की वजह से उस फंड से बाहर निकलना एक जल्दबाजी वाला फैसला हो सकता है।
अच्छे फंड्स हमेशा बाजार में थोड़े बहुत उतार-चढ़ाव से गुजरते हैं। लेकिन अगर उनके पीछे मजबूत मैनेजमेंट, स्थिर निवेश रणनीति और लंबी अवधि में अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है, तो उसमें बने रहना अधिक समझदारी भरा कदम हो सकता है।
बी) स्विच करने से पहले यह सोचें: क्या यह वाकई जरूरी है?
फंड बदलना जिसे अंग्रेजी में स्विचिंग कहते हैं एक बड़ा फैसला है, और इसके साथ कई बातें जुड़ी होती हैं, जैसे:
1. टैक्स का असर :
- अगर आप इक्विटी फंड को एक साल के भीतर बेचते हैं, तो उस पर 15% शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।
- लंबी अवधि (1 साल से अधिक) के निवेश पर भी 1 लाख रुपये से अधिक के मुनाफे पर 10% टैक्स लगता है।
2. एग्जिट लोड :
कई फंड्स में एग्जिट लोड लागू होता है, यानी अगर आप एक तय समय से पहले फंड से निकलते हैं, तो आपको कुछ फीसदी रकम कटौती के रूप में चुकानी पड़ सकती है।
3. नए फंड की रिसर्च :
जिस फंड में आप स्विच करना चाहते हैं, क्या उसकी पृष्ठभूमि, रणनीति और प्रदर्शन आपने अच्छी तरह जाँचा है? बिना पूरी रिसर्च के किया गया स्विच निवेश को नुकसान पहुँचा सकता है।
सी) कब न करें फंड स्विच :
1) अगर बाजार में अस्थायी गिरावट आयी हो और उसका असर सभी फंड्स पर पड़ा हो।
2) अगर फंड का प्रदर्शन थोड़े समय के लिए कमजोर हुआ हो, लेकिन उसका लॉन्ग टर्म रिकॉर्ड अच्छा हो।
3) अगर स्विच करने से टैक्स बोझ या एग्जिट लोड ज्यादा लग रहा हो।
4) अगर आप केवल दूसरों को देखकर फंड बदल रहे हों, खुद का कोई ठोस कारण नहीं है।
डी) कब कर सकते हैं फंड स्विच?
1) जब फंड लगातार लंबे समय से कमजोर प्रदर्शन कर रहा हो और उसका
2) बेंचमार्क या समान श्रेणी के फंड्स की तुलना में प्रदर्शन बहुत नीचे हो।
3) फंड मैनेजर या निवेश रणनीति में बड़ा और नेगेटिव बदलाव हुआ हो।
4) फंड का उद्देश्य अब आपकी निवेश जरूरतों से मेल नहीं खा रहा हो।
(शेयर मंथन, 09 मई 2025)
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