जून में खुदरा महँगाई दर अपने नये निचले स्तर पर पहुँच गयी। दरअसल खाद्य पदार्थों और तेल की कीमतों में कमी के कारण जून में यह फिसल कर 1.54% रह गयी है।
दो महीने के अंतराल के बाद भारत सरकार ने खुदरा महँगाई दर (Retail Inflation Rate) के आँकड़े जारी किये हैं।
राजेश रपरियामई में अनुमान से ज्यादा खुदरा महँगाई दर यानी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) बढ़ने से निकट भविष्य में ब्याज दरों में कमी की आस को तेज झटका लगा है।
महँगाई के आँकड़ों में नरमी दिख रही है। अप्रैल 2023 के महीने में थोक महँगाई दर शून्य के नीचे चली गयी है। यह अर्थव्यवस्था के लिए कितनी अच्छी खबर है, और महँगाई में यह नरमी कितनी टिकाऊ है?
खुदरा महँगाई दर (Retail Inflation Rate) दिसंबर में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लक्ष्य स्तर और सहनीय सीमा के पार चली गयी।
खाने के सामानों की कीमत में तेज बढ़ोतरी के कारण खुदरा महँगाई दर (Retail Inflation Rate) नवंबर में उछाल दर्ज करते हुए 5.54% पर पहुँच गयी।
खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने के कारण फरवरी में खुदरा महँगाई दर पिछले चार महीनों में सर्वाधिक 2.57% रही।
महँगाई के मोर्चे से एक राहत की खबर है। थोक महँगाई दर में फरवरी महीने में कमी दर्ज की गयी है।
महँगाई के मामले में जनता के लिए एक और बुरी खबर आयी है।
फरवरी के मुकाबले मार्च महीने में देश में खुदरा महँगाई दर (Retail Inflation Rate) में कमी दर्ज की गयी है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महँगाई दर में अक्टूबर में लगातार तीसरे महीने राहत मिली है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने सोमवार (14 नवंबर) को अक्टूबर के महँगाई दर के आँकड़े जारी किये। अक्टूबर में खुदरा महँगाई दर लगातार तीसरे महीने घटकर 6.77% पर आ गयी, जो सितंबर 2022 में 7.41% पर थी।
खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतें बढ़ने के कारण मार्च में खुदरा महँगाई दर (Retail Inflation Rate) में लगातार दूसरे महीने बढ़त दर्ज की गयी।
भारतीय शेयर बाजार को लेकर काफी उत्साहित रहने वाले फर्स्ट ग्लोबल के संस्थापक और वाइस-चेयरमैन शंकर शर्मा कई बार अचानक ही तेजी और मंदी पर अपनी राय बदलते रहते हैं।
खुदरा महँगाई दर जनवरी में 19 माह के निचले स्तर 2.05% पर पहुँच गयी, जिससे अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 26 पैसे की मजबूती देखी गयी और डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होकर 70.44 पर पहुँच गया।
प्रमुख रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) का मानना है कि देश में खुदरा महँगाई दर यानी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स या सीपीआई) के बढ़ने की दर में सर्दियों के मौसम में कुछ राहत मिल सकेगी, हालाँकि इसके बावजूद यह आरबीआई के सहन-सीमा के ऊपर ही रहेगी।
खाद्य पदार्थों, खास कर सब्जियों, दाल और अनाज, की कीमतें बढ़ने के कारण मई में खुदरा महँगाई दर (Retail Inflation Rate) सात महीनों के शिखर पर पहुँच गयी है।
खुदरा महँगाई दर (Retail Inflation Rate) अगस्त के मुकाबले सितंबर में वृद्धि के साथ 3.99% पर पहुँच गयी।
सितंबर में थोक महँगाई दर (Wholesale Inflation Rate) गिर कर 0.33% रह गयी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा महँगाई दर में पिछले महीने के मुकाबले कोई बदलाव नहीं हुआ है।
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