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सर्दियों में कुछ घटेगी महँगाई, पर रहेगी आरबीआई की सहन-सीमा के ऊपर ही : क्रिसिल

प्रमुख रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) का मानना है कि देश में खुदरा महँगाई दर यानी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स या सीपीआई) के बढ़ने की दर में सर्दियों के मौसम में कुछ राहत मिल सकेगी, हालाँकि इसके बावजूद यह आरबीआई के सहन-सीमा के ऊपर ही रहेगी।

सितंबर 2022 के महीने में खुदरा महँगाई दर फिर से बढ़ कर 7.4% हो गयी है। अगस्त 2022 में यह 7% थी। यह लगातार नौवाँ महीना है, जब खुदरा महँगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ऊपरी सहन-सीमा 6% से भी ऊपर बनी हुई है। क्रिसिल के अनुसार चालू वित्त-वर्ष में खुदरा महँगाई दर 6.8% रहेगी। महँगाई बढ़ने के साथ-साथ औद्योगिक उत्पादन में गिरावट भी चिंता का कारण बन रहा है। ताजा आँकड़ों के अनुसार अगस्त 2022 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 0.8% गिरावट आयी है, जबकि इसके पिछले महीने 2.2% वृद्धि हुई थी।
क्रिसिल की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि खुदरा महँगाई दर में आने वाले महीनों में कुछ राहत मिलेगी, क्योंकि आधार प्रभाव (बेस इफेक्ट) यानी पिछले साल की समान अवधि में ऊँची दर रहने के चलते ताजा महँगाई दर का प्रतिशत कम होगा। इसके साथ ही सर्दी के मौसम में नयी फसल बाजार में आने से सब्जियों के दाम भी घटेंगे। इसके बावजूद महँगाई दर 6% से ऊपर बने रहने के आसार हैं, जो आरबीआई की ऊपरी सहन-सीमा है। खाद्य महँगाई और केंद्रीय महँगाई (कोर इन्फ्लेशन) यानी मूलभूत सेवाओं एवं उत्पादों के ऊँचे दाम की वजह से कुल मिला कर खुदरा महँगाई का 6% के नीचे आ पाना अभी संभव नहीं होगा।
क्रिसिल का अनुमान है कि गेहूँ की आपूर्ति कम रहने से अनाज की ऊँची महँगाई रबी के मौसम तक जारी रहेगी। इसके अलावा, चावल का अतिरिक्त भंडार (बफर स्टॉक) होने के बावजूद खरीफ के मौसम में धान का कम रकबा इसकी कीमतों पर दबाव बढ़ायेगा। बिजली और कोयले के दामों में बढ़ोतरी से ईंधन महँगाई कुछ और ऊपर चढ़ेगी और यह पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले ऊँची बनी रहेगी।
ओपेक देशों के आपूर्ति में कमी करने के फैसले से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में फिर से काफी उतार-चढ़ाव बन गया है। महँगाई की इस आग में घी का काम करेगी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत। क्रिसिल का कहना है कि इसके चलते आयातित महँगाई घरेलू खुदरा कीमतों को बढ़ाना जारी रखेगी। लिहाजा ईंधन के दामों पर नजर रखनी होगी, क्योंकि भूराजनीतिक तनाव भी अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा कीमतों पर असर डाल रहे हैं।
क्रिसिल का आकलन है कि अर्थव्यवस्था में माँग की स्थिति में सुधार की आशा है, जिसका असर चालू वित्त-वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में उत्पादकों की ओर से बिक्री मूल्य बढ़ाये जाने के रूप में दिखेगा। आरबीआई की ओर से विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) और सेवा (सर्विसेज) क्षेत्रों के ताजा सर्वेक्षण (सितंबर 2022) में मिले जवाबों में भी यह बात दिखती है।
रिजर्व बैंक के सितंबर 2022 के ताजा सर्वेक्षण में बताया गया है कि विभिन्न उत्पाद समूहों में तीन महीने और एक साल आगे के समय के लिए औसत मुद्रास्फीति के अनुमान बढ़े हैं। हालाँकि रिजर्व बैंक ने साफ किया है कि इसकी मौद्रिक नीति (मॉनिटरी पॉलिसी) से जुड़े कदम यह सुनिश्चित करेंगे कि महँगाई बेलगाम न होने पाये। क्रिसिल ने इन सब कारकों को देखते हुए चालू वित्त-वर्ष में खुदरा महँगाई दर 6.8% रहने का अनुमान पूर्ववत रखा है। (शेयर मंथन, 15 अक्टूबर 2022)

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