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विलय की खबरों से टाटा स्टील में उछाल

टाटा स्टील और कोरस के विलय की संभावना वाली खबरों के चलते आज टाटा स्टील के शेयर भाव में जबरदस्त उछाल दिख रही है। आज सुबह बीएसई में टाटा स्टील 222.50 रुपये पर खुला, जो पिछले बंद भाव 217.90 रुपये की तुलना में करीब 2% ऊँचा था। दोपहर के कारोबार में इस शेयर ने अपनी मजबूती को और आगे बढ़ाया और 237.35 रुपये का ऊँचा स्तर छू लिया। लंदन के अखबार दी डेली मेल ने यह खास खबर दी है कि कोरस का विलय भारत की सबसे बड़ी स्टील कंपनी टाटा स्टील में हो सकता है।

भारतीय शेयर बाजारों की बढ़त में कमी

2.31: शेयर बाजारों की मजबूती में कमी आती दिख रही है। इस समय सेंसेक्स करीब 136 अंकों की बढ़त के साथ 9,826 पर है। निफ्टी 55 अंकों की मजबूती के साथ 2,976 पर है। बीसई में धातु, रियल्टी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और पीएसयू सूचकांकों में करीब 4-6% की बढ़त है। ग्रासिम इंडस्ट्रीज में 7.3%, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज में 7.28% और टाटा स्टील में 6.3% की मजबूती है। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज में करीब 5%, लार्सन एंड टुब्रो में 4.8% और ओएनजीसी में 3.8% की बढ़त है। रिलायंस कम्युनिकेशंस में 2.4% और टाटा पावर 1.8% की कमजोरी है। 

औद्योगिक उत्पादनः उल्टा घूमा पहिया

राजीव रंजन झा

बीते 15 सालों में पहली बार भारत के औद्योगिक उत्पादन का पहिया उल्टा घूम गया है। लोग सोच रहे थे कि अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन बढ़ने की दर पहले से कुछ धीमी हो कर 2-3% रहेगी, लेकिन यहाँ तो उत्पादन 0.4% घट गया। इन आंकड़ों के आने के बाद अब नवंबर महीने में भी स्थिति और बिगड़ने की आशंकाएँ जतायी जाने लगी हैं। कई विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि नवंबर में औद्योगिक उत्पादन करीब 1.5% तक घट सकता है।

डॉव जोंस में बढ़त, एशियाई बाजारों में मजबूती

गुरुवार की रात को सीनेट द्वारा ऑटो दिग्गजों को राहत देने संबंधित पैकेज को अस्वीकृत कर दिये जाने के मद्देनजर शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजारों में शुरुआती कारोबार में गिरावट का रुख रहा और एक समय डॉव जोंस 200 से अधिक अंक नीचे चला गया था। लेकिन सरकार की ओर से जारी इस बयान के बाद बाजारों में वापसी देखी गयी कि वह इन कंपनियों की मदद करने के लिए तैयार है।

नवंबर में औद्योगिक उत्पादन और घटेगा: सेंट्रम

अक्टूबर 2008 में औद्योगिक उत्पादन घटने के बाद जारी अपनी रिपोर्ट में सेंट्रम ब्रोकिंग ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से ब्याज दरों में कटौती और नकदी बढ़ाने के उपायों ने अब तक ज्यादा सहारा नहीं दिया है। सेंट्रम का मानना है कि ये कदम जरूरी थे, लेकिन ऋण जोखिम पर इनका ज्यादा असर नहीं पड़ा।

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