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क्या इस बार मिलेगा निफ्टी (Nifty) को 5680 पर सहारा

राजीव रंजन झा : सबको अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) के फैसले और उसकी टिप्पणियों का इंतजार था और जो सामने आया, वह बाजार के लिए एक बड़े झटके की तरह था। 
इस बैठक के बाद फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बर्नांके का बयान उनके 22 मई के बयान से भी आगे जा कर क्वांटिटेटिव ईजिंग के तीसरे चरण (क्यूई 3) के समापन की रूपरेखा सामने रख देता है। क्यूई 3 के तहत फेडरल रिजर्व हर महीने 85 अरब डॉलर के बांडों की खरीदारी करता है। 
उनका यह बयान सामने आते ही अमेरिकी बाजार फिसल गये। कल डॉव जोंस (Dow Jones) 206 अंक या 1.35% गिरा। आज सुबह तमाम एशियाई बाजारों का बुरा हाल है। इन पंक्तियों को लिखते समय निक्केई करीब 1%, स्ट्रेट टाइम्स 1.65% और हैंग सेंग 2% से ज्यादा कमजोरी दिखा रहे हैं। खुद भारतीय शेयर बाजार का हाल क्या हो सकता है, इसका संकेत सिंगापुर निफ्टी दे रहा है जो 70 अंक से ज्यादा नुकसान के साथ 5750 के नीचे आ गया है। 
हालाँकि दुनिया भर के बाजारों की ऐसी प्रतिक्रिया मुझे हमेशा हैरान करती रही है। बर्नांके ने कहा क्या है? उन्होंने कहा है कि वे इस साल के अंत तक बांड खरीदारी के कार्यक्रम (क्यूई 3) की गति घटाना शुरू कर देंगे और अगले साल इसे पूरी तरह रोक देंगे। लेकिन ऐसा वे क्यों करेंगे? ऐसा इसलिए करेंगे कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अब पर्याप्त मजबूती से बढ़ने लगी है। अगर डॉक्टर आपको बताये कि बीमारी ठीक हो रही है और कुछ समय के बाद आपकी दवा बंद कर दी जायेगी, तो आप खुश होंगे या निराश? खुश ही होंगे ना! लेकिन बाजार की प्रतिक्रिया हमेशा इसके विपरीत होती है। 
लेकिन यह सवाल सामने रखने का मतलब यह नहीं है कि बाजार कोई मूर्खता कर रहा है और वह अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों का महत्व समझ नहीं रहा है। दरअसल बाजार की यह प्रतिक्रिया उसके अपने तात्कालिक समीकरणों के आधार पर है। बाजार में नकदी का प्रवाह कीमतों को तय करने में एक बड़ी भूमिका निभाता है। क्यूई 3 कार्यक्रम समेटे जाने का सीधा मतलब यह है कि अमेरिकी बाजार में लगातार फेडरल रिजर्व की ओर से जो नकदी उड़ेली जा रही थी, वह रुक जायेगी। जब वह नकदी आनी रुकेगी तो जाहिर है कि निवेश में भी कमी आयेगी और मुद्रा बाजार में डॉलर भी मजबूती हासिल करेगा। 
यहाँ गौरतलब है कि फेडरल रिजर्व ने एक सेफ्टी वाल्व भी रखा है। इसने कहा है कि बांडों की खरीदारी का कार्यक्रम पूरी तरह रोके जाने तक उसे बेरोजगारी दर 7.6% से घट कर 7% पर आ जाने की उम्मीद है। लेकिन अगर यह आकलन ज्यादा आशावादी साबित हुआ, यानी हकीकत में नहीं बदला तो फेडरल रिजर्व बांडों की खरीदारी धीमी करना रोक भी सकता है या इस खरीदारी को बढ़ा भी सकता है। 
जाहिर सी बात है कि फेडरल रिजर्व उस डॉक्टर की तरह व्यवहार कर रहा है जो मरीज में सुधार के लक्षण देख कर दवा की मात्रा धीरे-धीरे घटा कर उसका असर देखना चाहता है। अगर दवा घटाने के बाद भी मरीज की हालत सुधरती रही तो ठीक, वरना फिर से दवा बढ़ानी पड़ेगी।
खैर, इस समय भारतीय बाजार में  क्या किया जाये? मैंने कल सुबह ही लिखा था कि निफ्टी (Nifty) 5750 के नीचे जाने पर बाजार में फिर से घबराहट दिखने लगेगी। निफ्टी एक बार फिर से 200 दिनों के सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) के नीचे जाना बाजार के लिए शुभ नहीं है। आने वाले दिनों में अगर यह 5680 के नीचे गया तो अप्रैल की तलहटी 5477 तक फिसलना आश्चर्यजनक नहीं होगा। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 20 जून 2013)

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