
भारतीय शेयर बाजार में सोमवार (12 मई) को दर्ज की गयी दमदार तेजी के लिए बाजार विशेषज्ञों ने मुख्य रूप से दो कारणों को जिम्मेदार बताया। जानकारों का मानना है कि बाजार में सकारात्मक माहौल के लिए अमेरिका-चीन का व्यापार समझौते के लिए वार्ता के लिए सहमत होना और भारत-पाक के मध्य संघर्षविराम की खबरों का अहम रोल रहा।
साइट्रस एडवाइजर्स के संस्थापक संजय सिन्हा ने युद्धविराम को 75% और अमेरिका-चीन वार्ता को 25% जिम्मेदार बताया, तो बाजार विश्लेषक निपुण मेहता ने भी युद्धविराम को 70% और अमेरिका-चीन वार्ता को 30% कारण बताया। बाजार विश्लेषक शर्मिला जोशी ने भी मुख्य योगदान युद्धविराम का ही माना।
वहीं मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिटेल रिसर्च प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने एक बड़ा असर अमेरिका-चीन समझौते का देखा।
अरिहंत कैपिटल की अनीता गांधी ने कहा कि घरेलू दृष्टि से युद्धविराम महत्त्वपूर्ण है, जबकि वैश्विक दृष्टि से अमेरिका-चीन का समझौता अधिक महत्त्व रखता है।
ऐंबिट एसेट मैनेजमेंट के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सिद्धार्थ रस्तोगी ने कहा कि “यह एक मिश्रित परिणाम है। जहाँ व्यापार सौदा भविष्य का उत्साह है, वहीं भारत-पाक युद्धविराम अतीत की अनिश्चितता को दूर करता है। मुख्य रूप से अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता का असर है।”
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च प्रमुख श्रीकांत चौहान की राय में इस तेजी में युद्धविराम का योगदान अधिक रहा, पर अब इसके आगे अन्य खबरें बाजार को आगे जाने में मदद करेंगी।
बाजार विश्लेषक अरविंद पृथी ने कहा, “मेरा मानना है कि अधिकांश तेजी अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता के कारण है, क्योंकि यह संभवतः अन्य व्यापारिक साझेदारों/राष्ट्रों के साथ वार्ता के परिणाम का संकेतक है।”
एआरएम रिसर्च के निदेशक ऑनाली रूपानी ने कहा कि यह एक राहत वाली तेजी (रिलीफ रैली) और बिकवाली सौदे कटने (शॉर्ट कवरिंग) वाली स्थिति है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि अमेरिका और चीन के बीच तत्काल सहमति बनना भारत के लिए सकारात्मक नहीं है।
बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार ने असर को इस तरह बाँट कर देखा कि 24,500 के ऊपर की जो भी तेजी आयी, उसका कारण अमेरिका-चीन वार्ता को माना जा सकता है।
ट्रेडस्विफ्ट ब्रोकिंग के निदेशक संदीप जैन ने भी इसी तरह बताया कि युद्धविराम के चलते 500-600 अंक की तेजी रही और बाकी मजबूत घरेलू आर्थिक (मैक्रो) कारणों एवं वैश्विक संकेतों के चलते।
चार्टपंडित के सीईओ हेमेन कपाड़िया ने इन दोनों घटनाओं के बीच एक संबंध भी देखा। उन्होंने कहा कि अमेरिका-चीन वार्ता हो सके, इसलिए युद्धविराम हुआ।
बाजार विश्लेषक अरुण केजरीवाल ने ऊपर बताये गये कारणों से भी अधिक प्रभाव बिकवाली सौदे कटने (शॉर्ट कवरिंग) का बताया।
बाजार विश्लेषक अशोक अग्रवाल ने एक मजेदार जवाब दिया कि “एक बार दूधवाला दूध में पानी मिला दे तो मुश्किल हो जाती है, उपभोक्ता उसमें पानी की मात्रा का अंदाजा ही नहीं लगा सकता। सवाल यह है कि क्या आपको वह दूध चाहिए?”
पर्पललाइन इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के निदेशक पी. के. अग्रवाल ने एक अलग ही नजरिया सामने रखा। उन्होंने कहा, “दरअसल इन दोनों कारणों की कोई भूमिका नहीं है। स्मार्ट मनी हमेशा दिन की बड़ी खबरों के पीछे अपनी चाल को छिपाती है। बाजार के पेशेवरों के रूप में हम जानते हैं कि कीमत खबर बनाती है, न कि इसके विपरीत होता है। फिर भी अगर आप कारण जानना चाहते हैं, तो एक कारण मैं यह सोच सकता हूँ कि आज पूर्णिमा है। मैंने देखा है कि कभी-कभी पूर्णिमा के दिन बाजार में उतार-चढ़ाव होता है!”
(शेयर मंथन, 13 मई 2025)
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