इंडिया इन्फोलाइन ने कारोबारी साल 2008-09 की दूसरी छमाही में निफ्टी में शामिल कंपनियों का कुल मुनाफा पहली छमाही के मुकाबले 19% कम रहने का अंदेशा जताया है। अगर 2009-10 में निफ्टी कंपनियों के मुनाफे की बात करें, तो यह 2007-08 से भी नीचे जा सकता है। इस ब्रोकिंग फर्म की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि 2009-10 में निफ्टी कंपनियों का कुल मुनाफा बाजार के मौजूदा औसत अनुमान की तुलना में करीब 20% कम हो सकता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दबाव वाली स्थिति (स्ट्रेस-केस) के अनुमान ही अब आधार (बेस-केस) अनुमान बनते दिख रहे हैं।
तमाम एशियाई बाजारों की कमजोरी के बावजूद आज भारतीय शेयर बाजार ने काफी अच्छी शुरुआत की है। इस तेजी में सेंसेक्स का साथ केवल चीन का शंघाई कंपोजिट ही दे रहा है। दरअसल आज कई घरेलू सकारात्मक खबरों ने भारतीय बाजार को सहारा दिया। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय संकेत भी पूरी तरह नकारात्मक नहीं थे, क्योंकि एशियाई बाजारों में भले ही कमजोरी दिख रही हो, लेकिन अमेरिकी और यूरोपीय बाजार कल तेज ही थे।
भारतीय उद्योग जगत के लिए चीफ मार्केटिंग ऑफिसर या चीफ स्ट्रेटेजी ऑफिसर की भूमिका निभाकर वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कल प्रमुख उद्योग संगठन सीआईआई के इंडिया इकोनॉमिक समिट में अर्थशास्त्र के कुछ बुनियादी सिद्धांत समझाये। जो सबसे प्रमुख बात उन्होंने कही, वह है दाम घटाने की। उनका कहना है कि विश्व अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत में अगर कंपनियों को अपने उत्पादों की मांग बढ़ानी है, तो उन्हें दाम घटाने होंगे। लेकिन लगता है कि ज्यादातर उद्योगों को उनकी यह बिना मांगी सलाह कुछ जमी नहीं।
आज यदि हम पिछले 4-5 कारोबारी सत्रों को देखें, तो भारतीय शेयर बाजारों में यहाँ की अंदरूनी वजहों पर कारोबार की निर्भरता बढ़ी है। यानी हम अमेरिकी शेयर बाजारों से ज्यादा संकेत नहीं ले रहे हैं। मुझे आज के बाजार में कोई सकारात्मक बात नहीं दिख रही। यह या तो कमजोर रहेगा या फिर सपाट रह सकता है।
2:00: सुबह के कारोबार में मजबूती दिखाने के बाद इस समय भारतीय शेयर बाजार की बढ़त में कमी आयी है। इस समय सेंसेक्स 145 अंक ऊपर 9,082 पर है। निफ्टी में 39 अंकों की मजबूती है और यह 2,722 पर है। बीएसई स्मॉलकैप और बीएसई मिडकैप लाल निशान में हैं। टीईसीके और आईटी सूचकांक को छोड़ कर बीएसई के सभी क्षेत्रवार सूचकांकों में मजबूती है। आईटी सूचकांक में 0.82% की गिरावट है। रियल्टी सूचकांक में 3.34%, तेल-गैस सूचकांक में 2.96% और एफएमसीजी सूचकांक में 2.94% की बढ़त है। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज में 4.7%, रिलायंस इंडस्ट्रीज में 4.66%, आईटीसी में 4.26% और महिंद्रा एंड महिंद्रा में 4.03% की मजबूती है। मारुति सुजुकी, डीएलएफ, एसीसी और रैनबैक्सी में 3.5% से अधिक की बढ़त है। सत्यम कंप्यूटर्स में 3.45% की गिरावट है।
मंगलवार को अमेरिकी शेयर बाजार में दिन भर उतार-चढ़ाव का दौर बना रहा और कारोबार के आखिरी घंटों में शेयरों में आयी मजबूती की वजह से डॉव जोंस 1.83% की बढ़त के साथ बंद हुआ। नैस्डैक सूचकांक भी आखिरकार हरे निशान में बंद होने में सफल रहा। विश्लेषकों का मानना है कि मंगलवार को दर्ज की गयी मजबूती से यह नहीं मान लेना चाहिए कि हम वापसी की राह पर चल पड़े हैं, क्योंकि अभी भी बाजार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आने वाली संभावित मंदी की चिंता से ग्रस्त है। थोक मूल्य सूचकांक और भवन निर्माण बाजार से संबंधित आंकड़ों ने इस आशंका को सच ही साबित किया है और इसकी वजह से निवेशकों में निराशा है। शेयर बाजारों में कारोबार की कम मात्रा भी चिंता का विषय बनी हुई है।
कमजोर वैश्विक संकेतों के मद्देनजर भारतीय शेयर बाजारों ने कारोबार की शुरुआत गिरावट के साथ की और दिन भर चले उतार-चढ़ाव के बाद सेंसेक्स एक बार फिर 9,000 के स्तर के नीचे चला गया। बीएसई सेंसेक्स 354 अंक या 3.81% लुढ़क कर 8,937 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई का निफ्टी 117 अंक या 4.16% की कमजोरी के साथ 2,683 पर बंद हुआ। आज बाजारों में दिन भर उतार-चढ़ाव का क्रम बना रहा, हालांकि सेंसेक्स 300 से भी कम अंकों के दायरे के बीच झूलता रहा। सीएनएक्स मिडकैप में 1.93% की गिरावट रही, जबकि बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 2.81% की कमजोरी के साथ बंद हुआ।
कच्चे तेल के भाव में गिरावट जारी है। न्यूयार्क मर्केटाइल एक्सचेंज में सोमवार को कच्चा तेल 54.95 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि विकसित देशों में कच्चे तेल की मांग में कमी आई है। साथ ही साथ जापान में आई मंदी का भी असर पड़ा है।
शंकर शर्मा फर्स्ट ग्लोबल के निदेशक हैं और भारतीय शेयर बाजार के कुछ बेहद चमकदार नामों में से एक हैं। हाल में उनकी बातों का वजन कुछ इसलिए भी बढ़ा है, क्योंकि सेंसेक्स के चार अंकों में लौटने की बात उन्होंने तब कही थी, जब जनवरी-फरवरी के झटकों के बाद सेंसेक्स 17,000 के आसपास चल रहा था। तब शायद ही किसी को इस बात पर यकीन था।
जी-20 सम्मेलन में कोई महत्वपूर्ण घोषणा न किये जाने के प्रति वैश्विक शेयर बाजारों ने निराशा प्रकट की है। विभिन्न वित्तीय संस्थाओं द्वारा नौकरियों में की जा रही कटौती की लगातार घोषणाओं के बीच सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को डॉव जोंस 2.63% की गिरावट के साथ बंद हुआ। नैस्डैक में भी 2.29% की गिरावट रही। यूरोप में एफटीएसई 100 में 2.38% की कमजोरी रही। डैक्स और कैक 40 भी 3% से अधिक कमजोरी के साथ बंद हुए। मंगलवार सुबह भारतीय समयानुसार 8 बजे शंघाई कंपोजिट को छोड़ कर शेष एशियाई बाजारों में गिरावट है। शंघाई कंपोजिट लगभग 1% ऊपर चल रहा है। निक्केई, कॉस्पी और ताइवान वेटेड में लगभग 2% की कमजोरी है। स्ट्रेट टाइम्स लगभग 1% नीचे चल रहा है।
कच्चे तेल के भाव में गिरावट आयी है। न्यूयार्क मर्केटाइल एक्सचेंज में शुक्रवार को कच्चा तेल 57.04 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा इसलिए हुआ है कि जी20 की बैठक में कोई ठोस कदम की घोषणा नहीं हो पायी। इसी वजह से अब निवेशकों को समझ में नहीं आ रहा कि इस वैश्विक मंदी का मुकाबला किस तरह किया जाएगा।