सोने की कीमत घट कर लगभग छह महीने के निचले स्तर पर आ गयी है।
एसएमसी ने अपनी मासिक रिपोर्ट में जिक्र किया है कि 2019 की दूसरी तिमाही में सोने (Gold) की मांग वर्ष-दर-वर्ष 8% बढ़ कर 1,123 टन हो गयी।
सर्राफा की कीमतों में मिला-जुला रुझान रहने की संभावना है, क्योंकि ब्रेक्जिट को लेकर चिंता और अमेरिका एवं चीन के बीच व्यापार युद्ध को लेकर अनिश्चितता के कारण निवेशक ऊहापोह में हैं।
एमसीएक्स पर सोने में अभी मुनाफावसूली जारी है। मगर अब हमें इसमें 51000 के स्तर पर थोड़ ध्यान देना है। इस स्तर के आसपास इसके सारे औसत धड़ाम होंगे।
इस्रायल की सेना अब गाजा पट्टी के अंदर घुसने लगी है और इसके चलते बढ़े हुए अंतरराष्ट्रीय तनाव के बीच कच्चे तेल और सोने के अंतरराष्ट्रीय भावों में जबरदस्त उछाल आ गयी है।
सोने में बाजार विश्लेषकों के मुताबिक रुझान सकारात्मक है। इसमें ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो इसके अहम स्तरों का ध्यान रखना चाहिए। टेक्निकल चार्ट इशारा कर रहे हैं कि ऊपर की ओर सोना नये शिखर बना सकता है।
अपने कमजोर प्रदर्शन को जारी रखते हुए, फरवरी में अहमदाबाद में सोने के आयात में लगभग 73% की गिरावट आयी, जबकि चाँदी के आयात में 99% से अधिक की गिरावट दर्ज की गयी।
केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार (06 मार्च 2023) को अपनी अपनी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम 2022-23 की सीरीज 4 लॉन्च कर दी। इसके लिए 10 मार्च तक आवेदन किया जा सकता है। आरबीआई ने सोने का निर्गम मूल्य 5,611 रुपये प्रति ग्राम तय किया है।
सर्राफा की कीमतों के साइडवेज रहने की संभावना है जबकि डॉलर के कारोबार और अमेरिकी नॉन फॉम पेरोल से कीमतों को दिशा मिल सकती है।
भारत के नं. 1 कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स (MCX) ने आज धनतेरस के शुभ अवसर पर देश के पहले कमोडिटी ऑप्शंस की शुरुआत की।
वायदा बाजार में सोने-चांदी की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है।
मल्टी कमो़डिटी एक्सचेंज (MCX) पर बुधवार को सोना-चॉदी की कीमतों में गिरावट देखी गयी है।
ऐक्सिस बैंक (Axis Bank) वित्त वर्ष 2018-19 में सोने-चाँदी का आयात नहीं कर सकेगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में गिरावट देखने को मिल रही है।
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निवेश मंथन के फरवरी 2025 अंक की आमुख कथा यह बता रही है कि सालाना 12 लाख रुपये से ऊपर भी आपकी आय करमुक्त कैसे रह सकती है। जी हाँ, 12 लाख तक ही नहीं, इससे अधिक कमाई पर भी संभव है शून्य आय कर।
हाल के वर्षों में शेयर बाजार में चिंता के स्वर कभी इतने प्रखर नहीं रहे और गिरावट के अंदेशों को लेकर ऐसी आम राय देखने को नहीं मिली। लगभग एक सुर में जानकार कह रहे हैं कि इस साल की पहली छमाही और खास कर आने वाले कुछ महीने बाजार के लिए अच्छे नहीं रहने वाले हैं।