
राजीव रंजन झा : एक अंग्रेजी वेबसाइट पर एक ताजा खबर का यह शीर्षक पढ़ कर मेरी हँसी रुक नहीं रही है कि सरकार ने पूर्व ऑडिटर आर पी सिंह (R P Singh) के दावों पर जाँच की माँग की।
सच में यह देश भगवान भरोसे ही चलता है, वरना सरकार जाँच की माँग नहीं करती, जाँच का आदेश देती। किसने रोका है जाँच करने से? जाँच की माँग किससे की गयी है - भगवान से? खैर, यह माँग रखने वाले मंत्री कमलनाथ शायद कह दें कि उन्होंने यह माँग एक मंत्री की हैसियत से नहीं, व्यक्तिगत रूप से रखी। लेकिन इसमें माँग रखने की क्या जरूरत है? संचार मंत्री कपिल सिब्बल और वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) पर हाल में जिस तरह खुले हमले किये हैं, उसमें इस बयान के बाद उन्हें एक औपचारिक जाँच शुरू करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। इसलिए कमलनाथ जी मीडिया को बयान देने के बदले दोनों संबंधित मंत्रियों के मोबाइल पर फोन लगायें और उन्हें अपनी यह सलाह दे दें। शुभस्य शीघ्रम।
कमलनाथ की यह बात वाजिब है कि आर पी सिंह ने जो मुद्दा उठाया है, वह गंभीर है। दरअसल आर पी सिंह ही 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में पहले आओ पहले पाओ की नीति अपनाये जाने के कारण सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान का आकलन करने वाले अधिकारी थे। वे सीएजी में लेखा महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल ऑफ ऑडिट) की हैसियत से यह रिपोर्ट तैयार कर रहे थे। अब सेवानिवृत हो चुके आर पी सिंह ने मीडिया को बताया है कि पहले आओ पहले पाओ की नीति के कारण उन्होंने 37,000 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया था, लेकिन सीएजी की अंतिम रिपोर्ट में नुकसान का आँकड़ा 1.76 लाख करोड़ रुपये बताया गया। यह तो भारी घपला है, कहाँ केवल 37,000 करोड़ रुपये का नुकसान और कहाँ 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान!
लेकिन सिब्बल साहब ने तो पहले बताया था कि इसमें कोई नुकसान हुआ ही नहीं था, शून्य नुकसान या जीरो लॉस का दावा था। तो अगर आर पी सिंह की बात पर हम यही मान लें कि नुकसान 37,000 करोड़ रुपये का था, तो इस नुकसान की जवाबदेही किस पर है? अरे भाई, 37,000 करोड़ रुपये की रकम भी कोई छोटी-मोटी तो है नहीं। सरकार ने पूरे साल 2012-13 के दौरान विनिवेश से जो 30,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है, वह भी इससे छोटा ही आँकड़ा है।
आगे आर पी सिंह ने बताया है कि उन्होंने 37,000 करोड़ रुपये की कम वसूली का यह जो आँकड़ा रखा, वह भी नये लाइसेंस और स्पेक्ट्रम के संदर्भ में नहीं था। यह आँकड़ा दरअसल अतिरिक्त स्पेक्ट्रम रखने वाली कंपनियों से वसूली जा सकने वाली रकम का था।
एक और अखबार में छपी खबर के मुताबिक आर पी सिंह ने बताया है कि 31 मई 2010 को भेजी अपनी रिपोर्ट में उन्होंने 2,645 करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात लिखी थी। लेकिन एक टीवी चैनल की खबर में उनकी एक टिप्पणी यह है कि मेरी रिपोर्ट में नुकसान का कोई आँकड़ा नहीं था। अब आर पी सिंह के हवाले से आपके पास तीन सूचनाएँ हैं। पहली सूचना - नुकसान 37,000 करोड़ रुपये का था। दूसरी सूचना, नुकसान 2,645 करोड़ रुपये का था। तीसरी सूचना – कोई नुकसान नहीं हुआ था। सीएजी को यह जाँच करानी चाहिए कि आर पी सिंह की इन तीन सूचनाओं में से सही क्या है। यह भी जाँच होनी चाहिए कि देश को भरमाने का ठेका आर पी सिंह को किसने दिया है? Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 23 नवंबर 2012)
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