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बाजार का मिजाज परखेगा शेयर मंथन सर्वेक्षण

राजीव रंजन झा : रोज-रोज की उठापटक से अलग बाजार की बड़ी तस्वीर को देखने के लिए शेयर मंथन हर छह महीने पर बाजार के शीर्ष निवेश जानकारों का सर्वेक्षण करता रहा है। 
एक बार फिर सहभागियों की संख्या के लिहाज से भारतीय शेयर बाजार का यह सबसे बड़ा सर्वेक्षण आपके सामने हाजिर होने वाला है। सर्वेक्षण के नतीजे और इसमें जानकारों की राय का पूरा ब्योरा आपके सामने हम जल्दी ही रखेंगे, अभी विश्लेषण चल रहा है। लेकिन यह खिचड़ी पूरी पके, इससे पहले जरा इसके कुछ दानों को निकाल कर देखते हैं, जरा इसकी महक ले लेते हैं।
जनवरी 2013 के सर्वेक्षण की तरह ही इस बार भी बाजार एक बड़े दायरे के अंदर ही सोच रहा है। नाटकीय उछाल की उम्मीद नहीं, डरावनी गिरावट की आशंका नहीं। नाटकीय उछाल की उम्मीद इसलिए नहीं है कि अर्थव्यवस्था के सामने बहुत-सी चिंताएँ हैं। साथ में लोकसभा चुनावों की तलवार सर पर लटकी है, भले ही इसकी तारीख को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं हो।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के बिजनेस हेड (पीबीडब्लूएम) विनोद शर्मा कहते हैं कि सरकारी घाटा और चालू खाता घाटा (सीएडी), रुपये की कमजोरी, एफआईआई की रुचि में कमी और औद्योगिक निवेश का चक्र रुक जाना अभी भारतीय बाजार के लिए सबसे बड़ी चिंताएँ हैं। ग्लोब कैपिटल के पीएमएस प्रमुख के. के. मित्तल इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि धीमी होती विकास दर और आने वाले चुनावों को प्रमुख चिंताओं में गिना जा सकता है। पियरलेस सिक्योरिटीज की संस्थागत बिक्री प्रमुख शर्मिला जोशी कहती हैं कि रुपये में कमजोरी और एफआईआई की बिकवाली के चलते निकट भविष्य में काफी उतार-चढ़ाव रहने की संभावना है।
लेकिन डरावनी गिरावट की आशंका इसलिए नहीं है कि जो चिंताएँ हैं, वे जगजाहिर हैं और लंबे समय से बाजार इन पर मंथन करता रहा है। लिहाजा इन चिंताओं का असर बाजार पर पहले ही दिख चुका है। प्रभुदास लीलाधर के सीईओ (पीएमएस) संदीप सभरवाल मान रहे हैं कि अर्थव्यवस्था अपना सबसे बुरा दौर देख चुकी है और आगे अच्छी वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है। साथ में भारतीय शेयर बाजार का मूल्यांकन भी अभी ऐसे निचले स्तरों पर है। लोग सोचते हैं कि भला और कितना सस्ता हो जायेगा बाजार! कपूर शर्मा ऐंड कंपनी के पार्टनर सलिल शर्मा कहते हैं, “सस्ता मूल्यांकन बाजार को सहारा दे रहा है।”
इस सस्ते मूल्यांकन को देख कर ही जिओजित बीएनपी पारिबा फाइनेंशियल के एवीपी गौरांग शाह निवेशकों को सलाह दे रहे हैं कि वे इन स्तरों पर शेयर खरीदें। उनके शब्दों में अभी ये छूट पर मिल रहे हैं। वे सवाल करते हैं, “मुझे समझ नहीं आता कि लोग महँगा खरीद कर सस्ते में क्यों बेचते हैं?”
खैर, जैसा मैंने ऊपर लिखा, ये तो सर्वेक्षण की पूरी खिचड़ी के कुछ दाने हैं। पूरी खिचड़ी भी आपके सामने जल्द परोसेंगे, बस जरा-सा इंतजार! Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 10 जुलाई 2013)

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