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एशियाई शेयर बाजारों में मिला-जुला रुख

हालांकि गुरुवार को यूरोप और अमेरिका के प्रमुख शेयर बाजारों में गिरावट रही, लेकिन सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को एशियाई शेयर बाजारों में मिला-जुला रुख रहा। चीन के शंघाई कंपोजिट सूचकांक में तेजी का सिलसिला जारी रहा, हालांकि इसमें 0.84% की मामूली बढ़त दर्ज हुई। सिंगापुर के स्ट्रेट टाइम्स सूचकांक में 1.65% की मजबूती रही, जबकि हांगकांग के हैंग सेंग सूचकांक में 2.49% की बढ़त दर्ज की गयी।

सरकारी तेल कंपनियों के शेयरों में गिरावट का रुख

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में संभावित कटौती की खबरों के बीच शेयर बाजारों में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के शेयरों में गिरावट का रुख देखा जा रहा है। बीएसई में दोपहर 1.35 बजे हिंदुस्तान पेट्रोलियम में 6.1%, भारत पेट्रोलियम में 4.1% और इंडियन ऑयल में 4.9% की कमजोरी देखी गयी। इस साल जुलाई महीने के मध्य में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 147 डॉलर प्रति बैरल के उच्चतम स्तर तक पहुंच गयी थी।

अरबिंदो फार्मा की दवाओं को अस्थायी स्वीकृति

अरबिंदो फार्मा को अपनी दो जेनेरिक दवाओं के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएस एफडीए) की ओर से अस्थायी स्वीकृति मिल गयी है। इसके साथ ही अब अरबिंदो फार्मा की कुल 85 दवाओं को अमेरिकी एफडीए की स्वीकृति हासिल हो चुकी है। इनमें से 61 दवाओं को अंतिम स्वीकृति और 24 दवाओं को अस्थायी स्वीकृति मिली है। अरबिंदो फार्मा का शेयर भाव आज बीएसई में 113.95 रुपये का ऊपरी स्तर छूने के बाद 11.20 बजे 3.7% की बढ़त के साथ 112.50 रुपये पर था।

सेंसेक्स 9,000 के नीचे फिसला

2.24: भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट बढ़ गयी है और सेंसेक्स 9,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे फिसल गया है। इस समय यह 256 अंक नीचे 8,974 पर है, जबकि निफ्टी 74 अंकों की गिरावट के साथ 2,714 पर है। बीएसई स्मॉलकैप लगभग सपाट है। सीएनएक्स मिडकैप में 1% से अधिक कमजोरी है। बीएसई ऑटो सूचकांक को छोड़ कर बाकी सभी सूचकांकों में गिरावट है। आईटी सूचकांक में 4% से अधिक गिरावट है। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, तेल-गैस, धातु और टीईसीके सूचकांकों  में 3% से अधिक कमजोरी है। 

सुधार घर से शुरू

 राजीव रंजन झा

सेबी ने कल कई फैसले सामने रखे। इनमें सबसे ज्यादा सुर्खियाँ मिलीं आईपीओ और म्यूचुअल फंड वाली खबरों को। लेकिन मेरे ख्याल से कल सेबी का सबसे बड़ा फैसला खुद उसके अपने कामकाज के बारे में था। आईपीओ और म्यूचुअल फंड से जुड़े फैसले महत्वपूर्ण हैं, लेकिन ऐसे नहीं जो इतिहास के पन्नों में शामिल होंगे। लेकिन भारत के वित्तीय बाजारों का इतिहास लिखते समय इस बात को जरूर याद किया जायेगा कि कब सेबी ने खुद अपने कामकाज को सारी जनता के सामने खोलने का फैसला किया।

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