
दुनिया की सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्था बदहाली की ओर बढ़ रही है। एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति की टैरिफ नीतियों के चलते वहाँ कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती आने का खतरा मंडरा रहा है, जिसकी वजह से केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को स्थिर रखे हुए है। दूसरी तरफ क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सॉवरेन रेटिंग घटाकर 'एए1' कर दी है।
इस बीच, अमेरिका के सरकारी बॉन्ड ईल्ड में बढ़ोतरी बाजार की चिंता को बढ़ रही है। अमेरिका में 30 साल की सरकारी बॉन्ड ईल्ड जहाँ बढ़कर 5.02% पर पहुँच गयी है, वहीं 10 साल की बॉन्ड ईल्ड 4.5% के ऊपर पहुँच गयी है। अमेरिका के इस घटनाक्रम का असर भारत समेत दुनिया की तमाम उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर देखने को मिल सकता है। इससे भारतीय रुपये पर दबाव आ सकता है और भारत से पूँजी की निकासी (कैपिटल आउटफ्लो) में भी इजाफा हो सकता है। साथ ही भारत की बॉन्ड ईल्ड और ब्याज दरें भी प्रभावित हो सकती हैं।
अमेरिका में बढ़ी हुई ट्रेजरी बॉन्ड ईल्ड का अर्थ है कि वहाँ लंबे समय तक ब्याज दरें ऊँची बनी रह सकती हैं। इससे अमेरिकी में कर्ज की लागत बढ़ेगी, शेयर बाजार और रियल एस्टेट जैसे परिसंपत्ति वर्ग पर इसका नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। अमेरिका को ऋण लेने के लिए अधिक ब्याज देना होगा, जिससे वैश्विक बॉन्ड ईल्ड भी बढ़ेगी। विदेशी निवेशक उभरती अर्थव्यवस्थाओं से अपना निवेश निकालकर उसका रुख अमेरिका की तरफ कर सकते हैं। इससे डॉलर में मजबूती और अन्य मुद्राओं में कमजोरी आयेगी।
भारतीय रुपये के कमजोर होने से आयात महँगा हो सकता है और कुल मिलाकर भारत में महँगाई बढ़ने का खतरा रहेगा। ऐसा हुआ तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को ब्याज दरों में नरमी का रुख बदलना पड़ सकता है, जिससे यहाँ भी कर्ज महँगा हो जायेगा। कर्ज महँगा हुआ, तो देश का राजकोषीय घाटा बढ़ने का खतरा रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अमेरिका की सॉवरेन रेटिंग को 'एएए' से घटाकर 'एए1' कर दिया है। यह कटौती ऐसे समय में की गयी है, जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति अपने दूसरे कार्यकाल में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की नयी गाथा लिखने के चक्कर में साझेदार देशों के साथ कारोबारी समझौते के पुनर्गठन में लगे हुए हैं। यह अमेरिका ही नहीं भारतीय बाजारों के लिए भी अनिश्चितता की स्थिति है।
संभवत: यही वजह है कि भारत के आईटी शेयरों में इस खबर के बाद दबाव देखने को मिला है। दरअसल, अधिकांश भारतीय आईटी कंपनियों के राजस्व का बड़ा हिस्सा अमेरिक से आता है। सोमवार को जहाँ निफ्टी आईटी सूचकांक 1.3% टूट कर बंद हुआ था, वहीं मंगलवार को ये हल्की बढ़त के साथ हरे निशान में था।
(शेयर मंथन, 20 मई 2025)
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