दूरसंचार सेवा उद्योग के सूत्रों के अनुसार रिलायंस जिओ (Reliance Jio) और भारती एयरटेल (Bharti Airtel) के बीच हुए समझौते का आकार रिलायंस कम्युनिकेशंस (Reliance Communications) के साथ इसके समझौते के मुकाबले काफी छोटा है।
सूत्र बताते हैं कि जिओ और एयरटेल के मौजूदा समझौते में एयरटेल के केवल 2,000 टावर और 8,000 किलोमीटर का ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क शामिल हैं।
रिलायंस जिओ इन्फोकॉम ने जून 2013 में रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ जो समझौता किया था, उसके तहत इसे रिलायंस कम्युनिकेशंस के देश भर में फैले 45,000 टावरों के इस्तेमाल का अधिकार मिल गया था। सूत्र बताते हैं कि रिलायंस जिओ खुद 40,000 टावर लगा रहा है और इन टावरों के लिए भी इसका रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ सौदा है। सूत्रों के अनुसार रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ रिलायंस जिओ का सौदा डेढ़ लाख किलोमीटर का है।
आज भारती एयरटेल और रिलायंस जिओ इन्फोकॉम ने दूरसंचार सेवाओं से संबंधित बुनियादी ढाँचे की साझेदारी (टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग) का एक विस्तृत समझौता किया है। सूत्र बताते हैं कि रिलायंस जिओ ने भारती एयरेटल के साथ जो समझौता किया है उसमें भारती एयरटेल के केवल 2,000 टावर ही शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसार, विकिरण (रेडिएशन) के मुद्दे के चलते बड़े शहरों में नये टावर बनाना काफी मुश्किल है और जिन बड़े शहरों में रिलायंस कम्युनिकेशंस का टावर नहीं है, केवल उन्हीं जगहों पर नेटवर्क के लिए रिलायंस जिओ ने यह समझौता भारती एयरटेल के साथ किया है।
सूत्र बताते हैं कि भारती एयरटेल के पास फाइबर नेटवर्क 8,000 किलोमीटर का है और ऑप्टिक फाइबर समझौता केवल इसी के लिए है। सूत्र के अनुसार भारती एयरटेल के पास ऑप्टिक फाइबर का जो बाकी सवा लाख किलोमीटर का ऐक्सेस है, वह इस सौदे में नहीं है, क्योंकि वह नेटवर्क इंडस के पास है।
दूसरी ओर रिलायंस जिओ के प्रवक्ता का कहना है कि रिलायंस जिओ ने भारती एयरेटल के साथ जो समझौता किया है, उसमें अभी संख्या के बारे में कोई बात तय ही नहीं हुई है। मौजूदा समझौता गठजोड़ का इरादा भर है। रिलायंस जिओ के मुताबिक इस सौदे के संदर्भ में 2,000 टावरों की संख्या सही नहीं है। लेकिन रिलायंस जिओ की ओर से इस सवाल का भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया कि क्या भारती के साथ उसका ताजा समझौता भारती इन्फ्राटेल के सारे टावरों के लिए है? भारती के प्रवक्ता ने इस बारे में जारी औपचारिक बयान से अतिरिक्त कोई जानकारी नहीं दी है।
विश्लेषकों के अनुसार अगर भारती इन्फ्राटेल और रिलायंस जिओ का ताजा समझौता भारती के सारे टावरों के लिए हो, तो यह काफी हद तक रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ उसके समझौते के जैसा ही होगा, जिसमें दोनों पक्ष लगभग बराबर संख्या में एक-दूसरे के टावरों का इस्तेमाल करेंगे। इस तरह दोनों कंपनियों के लिए इसमें नकद लेनदेन की जरूरत लगभग नहीं होगी। लेकिन अगर कुछ खास उद्योग सूत्रों की बतायी हुई 2000 टावरों की संख्या सही हो, तो यह सौदा ज्यादा बड़ा नहीं माना जा सकता।
मगर इस बीच भारती इन्फ्राटेल के शेयर में मंगलवार के कारोबार में कुछ उत्साह दिखा। यह बीएसई में 1.0% की बढ़त के साथ 178.15 रुपये पर बंद हुआ।
(शेयर मंथन, 10 दिसंबर 2013)
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