
हिंदुस्तान जिंक ने रिन्यूएबल एनर्जी कारोबार में 350 करोड़ रुपए निवेश करने का फैसला किया है।
कंपनी की इस निवेश के जरिए 200 मेगावाट रिन्युएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है। कंपनी स्पेशल पर्पस व्हीकल (SPV) के जरिए निवेश करेगी। इस प्रोजेक्ट का निर्माण ग्रुप कैप्टिव नियमों के तहत बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर आधार पर किया जाएगा। इसके लिए स्पेशल पर्पस व्हीकल (SPV) की मदद ली जाएगी। इस स्पेशल पर्पस व्हीकल (SPV) में कंपनी की हिस्सेदारी 26 फीसदी होगी जिसके लिए कंपनी को 350 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 2030 तक कार्बन फुटप्रिंट में 40 फीसदी तक की कमी लाने का महत्वपूर्ण लक्ष्य रखा गया है। साथ ही कंपनी की 2050 तक कार्बन न्यूट्रल होने का लक्ष्य है। इसी के मद्देनजर कंपनी ने रिन्युएबल एनर्जी में निवेश करने का फैसला किया है। कंपनी ने लंबी अवधि के ग्रुप कैप्टिव रिन्युएबल पावर डेवलपमेंट के लिए करार किया है ताकि वह 200 मेगा वाट एनर्जी का उत्पादन कर सके।
हालाकि कंपनी ने स्पेशल पर्पस व्हीकल (SPV) के गठन संबंधित किसी तरह की जानकारी मुहैया नहीं कराई है। साथ ही ग्रीन एनर्जी क्षमता कहां लगाया जाएगा इस बारे में भी कोई जानकारी साझा नहीं की गई है। हिंदुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी निदेशक अरुण मिश्रा ने कहा कि हम एनवार्यनमेंटल,सोशल एंड गवर्नेंस (ESG) के रोडमैप में काफी आगे हैं। हम अपने कारोबार में कार्बन का इस्तेमाल कम कर रहे हैं। जिंक और लेड यानी शीशा के उत्पादन में ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल पर फोकस है। आपको बता दें कि हिंदुस्तान जिंक वेदांता की सब्सिडियरी है जिसमें कंपनी की 64.9 फीसदी हिस्सेदारी जबकि बाकी 29.5 फीसदी हिस्सा सरकार के पास है। (शेयर मंथन, 31 मार्च 2022)
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